नई दिल्ली. कोई तो ऐसी बात थी जिसके कारण केपी ओली ने इतना बड़ा खतरा उठाया और नेपाल को अपने परम्परागत मित्र भारत का हाथ छोड़ने को मजबूर कर दिया है. क्या ऐसी बात थी कि जिस चीन को उसके धोखेबाजी वाले इतिहास के लिए दुनिया जानती है, उस चीन का साथ ले लिया और इतना ही नहीं चीन के कहने पर भारत से दुश्मनी भी मोल ले ली? इसकी बस यही छोटी सी घटिया वजह है कि केपी ओली ने चीन से बहुत बड़ी दलाली खाई और बदले में सारे देश को दांव पर लगा दिया.
तीन नेताओं ने खाई चीनी दलाली
सिर्फ प्रधानमंत्री केपी ओली ने ही भ्रष्टाचार नहीं किया है बल्कि उनके साथ उनकी पार्टी के ही दूसरे बड़े नेता कमल दहल प्रचंड ने भी चीनी कम्पनी से दलाली खाई है. ये दलाली की रकम इतनी बड़ी थी कि इसे खाने के लिए दोनों बड़े नेताओं ने विपक्ष के नेता शेर बहादुर देउबा को भी अपने भ्रष्टाचार में साथी बनाया . इसके बाद देश को अंधेरे में रख कर इन्होने चीन का साथ निभाया और बदले में भ्रष्टाचार का नौ अरब रुपया खाया.
बूढी गण्डकी स्कैम में फंसे हैं तीनो
जिस स्कैम में ये तीनों सर्वोच्च नेपाली नेता फंसे हैं उसे बूढी गण्डकी हाइड्रो प्रोजेक्ट कमीशन स्कैम की नाम से जाना गया है. ओली, प्रचंड और देउबा, इन तीनों नेताओं पर इस स्कैम में शामिल होने का बड़ा आरोप लगा है. इन तीनों नेताओं के घूस लेने की खबर नेपाल को देश के पूर्व पीएम बाबूराम भट्टराई ने दी जिसके बाद सारे देश में बवाल मच गया है.
भट्टराई ने लगाया आरोप
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने ओली और प्रचंड पर घूस लेने का गंभीर आरोप लगाया है जिसने न केवल इन दोनों नेताओं की जनछवि ध्वस्त कर दी है अपितु इनका राजनीतिक करियर भी खत्म कर दिया है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के इन दोनों नेताओं पर भट्टराई के आरोप के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और 'प्रचंड' नेता ने चीनी कंपनी को ठेका देने के लिए उनसे 9 अरब रुपयों की घूस ली है.
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