नई दिल्ली. अब तक शाब्दिक विवाद और आरोप-प्रत्यारोप की जंग चल रही थी अब यह चीन अमेरिका जंग व्यावहारिक स्तर पर उतरने को तैयार हो रही है. हालांकि कोरोना के बाद शुरू हुए इस वाक्-युद्ध में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का ही क्रोध चीन के विरुद्ध शब्दों में बयान होता रहा है. चीन ने काफी सावधानी बरती है और ज्यादा से ज्यादा खामोशी का मुजाहिरा किया है.
चीन की खामोशी और अमेरिका का गुस्सा
कोरोना कॉन्सपिरेसी के आरोपी चीन पर सबसे पहले शब्दों का हमला किया था अमेरिका ने और उसके बाद अमेरिका का गुस्सा उत्तरोत्तर बढ़ता चला गया. डोनाल्ड ट्रम्प ने यहां तक कहा कि चीन ट्रम्प को इस साल अमरीकी राष्ट्रपति के चुनावों में हराने की साजिश कर रहा है. चीन ने इस वर्ष की शुरुआत में हुए अमेरिका-चीन व्यापार समझौते पर भी अमेरिका से बात करनी चाही लेकिन अमेरिका ने साफ मना कर दिया. अब यह विवाद दोनो देशों के बीच उस स्तर पर पहुंच गया है कि अमेरिका ने बाकायदा आर-पार की लड़ाई की घोषणा कर दी है.
अगले चरण में जा रही है अमेरिका-चीन जंग
अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी विवादों की जंग अब अगले चरण में जाती नजर आ रही है यद्यपि इसका प्रभाव दोनो ही देशों पर पड़ने वाला है किन्तु अमेरिका के लगातार आरोपों से घिरे चीन ने न पलटवार किया न ही अमेरिका के किसी आरोप को स्वीकार किया है. राष्ट्रपति ट्रंप चीन पर लगातार प्रतिबंध लगाते जा रहे हैं. अब उन्होंने चीन से आने वाले यात्री विमानों पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला ले लिया है. आगामी 16 जून दोनो देशों के बीच आने-जाने वाली उड़ानों की आखिरी तारीख होने वाली है.
अमेरिका तीन मोर्चों पर लड़ रहा है
आज अमेरिका में हालात बहुत बुरे हैं. एक तरफ कोरोना की महामारी है तो दूसरी तरफ रंगभेद को लेकर चल रहे उपद्रव. ऐसे में चीन के साथ अलग-अलग मोर्चों पर अमेरिका की जंग लगातार जारी है. हालांकि इससे अमेरिका का चीन की खलनायकी के विरुद्ध कार्रवाई का दृढ़-संकल्प स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है और सच तो ये भी है कि चीन से इस लड़ाई में अमेरिका अकेला नहीं है.