बेरूत. लेबनान ने इजरायल के साथ अमेरिकी मध्यस्थता वाले समुद्री सीमा समझौते की अपनी प्रति पर बृहस्पतिवार को हस्ताक्षर किए और एक अमेरिकी मध्यस्थ को उसे सौंपा. इस संकटग्रस्त देश को आर्थिक स्थिरता लाने के लिए जल्द ही अपने दक्षिणी समुद्री ब्लॉकों में गैस का अन्वेषण शुरू होने की उम्मीद है.
समझौते से पहले ऊर्जा मामलों के लिए अमेरिकी राजदूत एमॉस हॉचस्टीन की मध्यस्थता में कई महीने तक परोक्ष वार्ता होती रही. समुद्री सीमा को चिह्नित करने वाला यह समझौता दोनों देशों के बीच संबंधों में बड़ी सफलता को रेखांकित करता है जो 1948 में इजराइल के निर्माण के बाद से औपचारिक रूप से संघर्षरत रहे हैं.
लेबनान को आर्थिक संकट से उबरने की उम्मीद
लेबनान और इजराइल दोनों भूमध्य सागर में करीब 860 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं जहां अपतटीय गैस क्षेत्र हैं. लेबनान को उम्मीद है कि समुद्री सीमाओं के रेखांकन से गैस खनन का रास्ता साफ होगा और उसे आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिलेगी.
बुरे दौर से गुजर रहा है लेबनान
लेबनान में आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और उसकी तीन चौथाई आबादी गरीबी में रहने को मजबूर है. इजराइल को उम्मीद है कि यह समझौता लेबनान के ईरान समर्थित उग्रवादी समूह हिज्बुल्लाह के साथ जंग के खतरे को कम करेगा.
हिजबुल्ला उग्रवादी समूह से इजरायल को मिलेगी राहत
इजरायल के लिए इसे मध्य-पूर्व के इलाके में बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है. लेबनान का हिजबुल्ला उग्रवादी समूह इजरायल के परेशानी का सबब रहा है. अब जबकि खुद लेबनान बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में वह भी अपना आर्थिक लाभ होते देख हिजबुल्ला समूह पर कड़ी नजर रखेगा.
कैसे रहे हैं दोनों देशों के संबंध?
रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल की लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियां लेबनान को एक एनमी स्टेट यानी दुश्मन राज्य के तौर पर देखती हैं. किसी इजरायली पासपोर्ट धारक के लिए लेबनान में एंट्री बैन है और उसकी गिरफ्तारी तक हो सकती है. साल 2008 की प्यू रिसर्च के मुताबिक 97 प्रतिशत लेबनान के लोगों की राय यहूदियों के बारे में नकारात्मक थी. केवल तीन प्रतिशत लोगों ने यहूदियों के बारे में सकारात्मक बातें कही थीं.
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