अल-जवाहिरी को पाकिस्तान ने मरवाया? 5 प्वाइंट्स में जानें शक की वजहें...

अल-जवाहिरी की मौत में पाकिस्तान का हाथ होने को लेकर कई संदेह पैदा हो रहे हैं. संदेह के कुछ आधार हैं जो हम आपको 5 प्वाइंट्स में बता रहे हैं.

Edited by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 2, 2022, 06:28 PM IST
  • जवाहिरी की मौत में पाक का क्या रोल.
  • 5 प्वाइंट्स में जानें घटना के बारे में सब.
अल-जवाहिरी को पाकिस्तान ने मरवाया? 5 प्वाइंट्स में जानें शक की वजहें...

नई दिल्ली. वैश्विक आतंकी संगठन अल-कायदा का चीफ अयमान अल-जवाहिरी आखिकार अमेरिकी हमले मारा गया. जवाहिरी की मौत के बाद अल-कायदा के नए चीफ को लेकर भी दुनियाभर में अनुमानों के आधार पर कई रिपोर्ट्स की गई हैं. लेकिन इस बीच जवाहिरी की मौत में पाकिस्तान का हाथ होने को लेकर भी कई संदेह पैदा हो रहे हैं. संदेह के कुछ आधार हैं जो हम आपको 5 प्वाइंट्स में बता रहे हैं.

1- अल जवाहिरी को अमेरिका ने भले ही काबुल में मारा हो लेकिन इसके लिए पाकिस्तानी एयर स्पेस का इस्तेमाल किया गया है. सूत्रों के आधार पर छपी एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका का ड्रोन मध्य पूर्व के किसी देश से उड़ा था. माना जा रहा है कि यह देश यूनाइटेड अरब अमीरात हो सकता है. इसके बाद काबुल पहुंचने के लिए ड्रोन ने लंबे पाकिस्तानी एयर स्पेस का इस्तेमाल किया. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान को इस बात की जानकारी पहले ही दे दी गई थी कि ऑपरेशन का दौरान उसके एयर स्पेस का इस्तेमाल किया जाएगा. 

2-दूसरा सबसे मजबूत प्वाइंट ये है कि इस पूरे ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान समर्थित हक्कानी नेटवर्क का कोई भी सदस्य नहीं मारा गया है. जबकि जवाहिरी को काबुल में रहने की व्यवस्था हक्कानी नेटवर्क ने ही मुहैया करवाई थी. अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को आतंकी संगठन माना हुआ है और उसके सरगना पर इनाम भी घोषित किया था. इसके बावजूद हमला इस प्रकार से किया गया जिसमें सिर्फ जवाहिरी को निशाना बनाया गया. अगर इस इमारत पर कोई बड़ा हमला होता हक्कानी नेटवर्क का कोई सदस्य भी जद में आ सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 

3-तालिबान सरकार ने इस हमले की निंदा की है और इसे 'दोहा समझौते' का उल्लंघन बताया है. तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि हमारी सरकार इस हमले की बेहद सख्त शब्दों में निंदा करती है. यह अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का उल्लंघन है. गौरतलब है कि अफगानिस्तान से हटने के बाद अमेरिका ने तालिबान के लिए फंड सीज कर दिए थे. इस वजह से तालिबान बेहद मुश्किल में आ गया था. अब जवाहिरी के हमले के बाद तालिबान की निंदा यह भी संभावना जाहिर करती है कि जवाहिरी की हत्या को लेकर तालिबान को कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन तालिबान सरकार में ही मौजूद हक्कानी नेटवर्क या तो इसका हिस्सा था या फिर उसे ऑपरेशन की जानकारी थी. 

4-इससे पहले 2011  में भी अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में स्पेशल ऑपरेशन के जरिए मार गिराया था. उस घटना में भी पाकिस्तान के रोल की चर्चा हुई थी. यानी अपने एयर स्पेस और जमीन का इस्तेमाल फायदे के लिए होने देना पाकिस्तान की पुरानी फितरत को भी दर्शाता है. 

5-पाकिस्तान द्वारा अपना एयर स्पेस इस्तेमाल होने देने की सबसे मजबूत वजह उसकी आर्थिक कंगाली भी है. पाकिस्तान इस वक्त दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है. महज कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने अमेरिका से मदद मांगी है. दरअसल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान के लिए फंड को रोक रखा हुआ है. अब पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद मांगी है. चीन के पाले में जाने से पहले पाकिस्तान लंबे समय तक अमेरिका के इशारे पर काम करता रहा है. अब संभव है कि अल-जवाहिरी और पाकिस्तान के लिए IMF से मिलने वाले फंड के बीच में कोई संबंध हो! आतंकियों के खिलाफ कारगर कार्रवाई न करने को लेकर कुख्यात पाकिस्तान पहले से FATF की ग्रे लिस्ट में है और ब्लैक लिस्ट होने का डर बना हुआ है. इसलिए यह शक मजबूत होता है जवाहिरी के लिए एयर स्पेस देकर पाकिस्तान अपने 'पाक-साफ' होने का सबूत दे रहा हो.

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