किस आरक्षण के विरोध में हिंसा की आग में उबल रहा बांग्लादेश, नौकरियों में कितने प्रतिशत है रिजर्वेशन

बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं. इसके बाद सरकार ने देश में कर्फ्यू लगा दिया है. रिपोर्ट्स की मानें तो इन हिंसक प्रदर्शनों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है जबकि करीब 2500 लोग जख्मी हैं. वहीं सरकार ने हिंसा के बाद व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बलों की तैनाती का आदेश भी दिया है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 20, 2024, 09:37 AM IST
  • बांग्लादेश में क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं स्टूडेंट्स
  • सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं
किस आरक्षण के विरोध में हिंसा की आग में उबल रहा बांग्लादेश, नौकरियों में कितने प्रतिशत है रिजर्वेशन

नई दिल्लीः बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया है. सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर कई दिनों से जारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के बाद व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बलों की तैनाती का आदेश दिया. 

हिंसा में कई लोगों की मौत

पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी और राजधानी में सभी सभाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद बांग्लादेश में सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादर ने यह घोषणा की. मीडिया की खबरों के अनुसार, हिंसा में कई लोग मारे गए हैं. कादर ने कहा कि नागरिक प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने में मदद करने के लिए सेना को तैनात किया गया है.

सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं

कई दिनों से जारी प्रदर्शनों के बीच शुक्रवार को पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे. हिंसक प्रदर्शनों के बीच इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं. राजधानी ढाका और कुछ स्थानों पर प्रदर्शन कुछ सप्ताह पहले शुरू हुए थे लेकिन सोमवार से इनमें तेजी आ गई. 

ये विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं. उन्होंने जनवरी में हुए चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी. मुख्य विपक्षी समूहों ने चुनावों का बहिष्कार किया था. 

बांग्लादेश में क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं लोग

प्रदर्शनकारी 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं. उनका तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है, जिनकी अवामी लीग पार्टी ने मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया था.

छात्र चाहते हैं कि इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए. नायकों के रिश्तेदारों को 30 फीसदी आरक्षण मिलता है. जिसके विरोध में उनका कहना है कि तीसरी पीढ़ी को आरक्षण देना कितना तर्कसंगत है. वहीं हसीना ने आरक्षण प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि संघर्ष में योगदान देने वालों को सम्मान मिलना चाहिए चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो. 

बढ़ती महंगाई ने असंतोष को दिया है जन्म

बांग्लादेश की नेता को बांग्लादेश में स्थिर विकास लाने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन आंशिक रूप से यूक्रेन में युद्ध से उत्पन्न वैश्विक उथल-पुथल के कारण बढ़ती मुद्रास्फीति ने श्रमिक असंतोष और सरकार के प्रति असंतोष को जन्म दिया है. हालांकि निजी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में नौकरी के अवसर बढ़े हैं. फिर भी बहुत से लोग सरकारी नौकरियों को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उन्हें ज्यादा स्थिर और आकर्षक माना जाता है लेकिन हर जगह इतनी नौकरियां नहीं हैं. हर साल करीब 400,000 स्नातक सिविल सेवा परीक्षा में लगभग 3,000 नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं. 

हिंसा के बीच 245 भारतीय स्वदेश लौटे 

भारत ने शुक्रवार को बांग्लादेश में जारी छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को ढाका का 'आंतरिक' मामला करार दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह वहां रह रहे 15 हजार भारतीयों की सुरक्षा को लेकर स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है. 

'बांग्लादेश में रह रहे भारतीय सुरक्षित'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि बांग्लादेश में रह रहे 8,500 छात्रों सहित 15,000 भारतीय सुरक्षित हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग वहां रह रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश से शुक्रवार रात आठ बजे तक 245 भारतीय सुरक्षित भारत लौट आए, जिसमें से 125 छात्र हैं. 

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