भारत की आजादी पर मुहर लगाई तो कभी कश्मीर पर चिढ़ाया, ब्रिटेन में जीती लेबर पार्टी के साथ कैसे रहे हैं संबंध

ब्रिटेन में चुनावी जीत हासिल करने वाली लेबर पार्टी और भारत के संबंधों का इतिहास क्या है? लेबर पार्टी के समय भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली थी लेकिन संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. अब कीर स्टार्मर ब्रिटेन के पीएम बनने जा रहे हैं, उनका भारत के प्रति रुख कैसा है, जानेंः

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 5, 2024, 02:14 PM IST
  • मजदूर आंदोलन से जन्मी लेबर पार्टी
  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद लेबर पार्टी जीती
भारत की आजादी पर मुहर लगाई तो कभी कश्मीर पर चिढ़ाया, ब्रिटेन में जीती लेबर पार्टी के साथ कैसे रहे हैं संबंध

नई दिल्लीः Labour Party and India: ब्रिटेन चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी की हार हो गई है. देश की सबसे पुरानी पार्टी ने 14 साल बाद सत्ता गंवा दी है. ऋषि सुनक ने कंजर्वेटिव पार्टी की हार स्वीकार कर ली है. वहीं चुनाव में जीत हासिल करने वाली लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर प्रधानमंत्री बनेंगे. अब लेबर पार्टी सत्ता पक्ष में बैठेगी. जानें ब्रिटेन की लेबर पार्टी और भारत के संबंधों का इतिहासः

मजदूर आंदोलन से जन्मी लेबर पार्टी

साल 1900 में मजदूर आंदोलन से लेबर पार्टी का जन्म हुआ था. पार्टी शुरुआत से ही मजदूरों के मुद्दों को उठाती रही. साल 1924 में पहली बार लेबर पार्टी की सरकार बनी थी. तब रैम्से मैकडोनाल्ड लेबर पार्टी की ओर से पहले पीएम बने लेकिन यह सरकार एक साल भी नहीं चली. 1929 में फिर लेबर पार्टी सत्ता में आई लेकिन यह सरकार भी गिर गई. 

दूसरे विश्व युद्ध के बाद लेबर पार्टी जीती

दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1945 में लेबर पार्टी ने आश्चर्यजनक रूप से बड़ी जीत हासिल की. युद्ध में ब्रिटेन भी विजयी देशों में शामिल था. तब देश में कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार थी, लेकिन युद्ध में बेतहाशा खर्च के चलते लोगों ने चुनाव में कंजर्वेटिव को झटका दिया. सुधारवादी कार्यक्रम पेश करने वाली लेबर पार्टी को ब्रिटिश लोगों ने 393 सीटें जिता दी. लेबर नेता क्लीमेंट एटली ने सोशल और आर्थिक क्षेत्र में व्यापक बदलाव किए. ब्रिटेन एक वेलफेयर स्टेट बना.

नई सरकार बनी तो ब्रिटेन के अधीन भारत को भी जल्द आजादी की उम्मीद जगने लगी क्योंकि कंजर्वेटिव नेता विंस्टन चर्चिल भारत को आजाद करने के पक्ष में नहीं थे. लेबर पार्टी ने चुनाव में अपने घोषणापत्र में भी भारत में स्वशासन की बात कही थी. इसके बाद लेबर पार्टी ने इस दिशा में तेजी से कदम उठाए. 

लेबर पार्टी के शासन में भारत हुआ आजाद

इसके बाद 1946 में तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेट एटली के नेतृत्व में लेबर पार्टी भारत को आजाद करने को लेकर कानून (इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट) तैयार करने में लग गई. 1947 में इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट ब्रिटेन की संसद में पारित हो गया. वहीं क्लीमेंट एटली ने भी संसद में भारत को पूर्ण स्वशासन यानी आजादी देने और सत्ता के हस्तांतरण की घोषणा की. इसके बाद भारत को आजादी मिली.

जम्म-कश्मीर पर प्रस्ताव ने बिगाड़े संबंध

हालांकि समय के साथ लेबर पार्टी के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव भी देखने को मिले. सितंबर 2019 में जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने एक सालाना कॉन्फ्रेंस में जम्मू-कश्मीर के हालात पर एक प्रस्ताव पारित किया था. इसमें जम्मू-कश्मीर में मानवीय संकट की बात कही गई थी और जोर दिया गया था कि कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाना चाहिए. साथ ही जमीनी हालात पर नजर रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी कर्ताओं को तैनात करने की बात भी कही गई थी. 

भारत के प्रति रुख को सुधारने की कोशिश की

इसके बाद ब्रिटेन में लेबर पार्टी को भारतवंशियों की भारी नाराजगी झेलनी पड़ी थी. भारतवंशियों ने इस प्रस्ताव को एकतरफा माना और इसके बाद कई कंजर्वेटिव पार्टी की तरफ रुख कर गए. भारत सरकार ने भी इसका विरोध किया था. पिछले साल लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ने भारत के साथ संबंधों की मजबूती पर जोर दिया. चुनाव के दौरान उनको मंदिरों में भी जाते देखा गया. उन्होंने दीवाली मनाई. हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार की आलोचना की और घोषणापत्र में नई रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी जताई. साथ ही कहा कि दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) जारी रहेगा.

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