मोबाइल कंपनियों पर प्रॉपर्टी टैक्स और रिन्युअल फीस का 10 करोड़ का बकाया चल रहा है.अब नगर निगम इसकी भरपाई संपत्ति मालिकों से करेगा. मजेदार बात यह है कि निगम बकाया टैक्स वसूलने के लिए कंपनियों को चिन्हित भी नहीं कर पा रहा है.
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राज टाकिया/ रोहतक : हरियाणा में रोहतक के शहरी क्षेत्रों में संचालित संचार कंपनियों के टावर में बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है. ज्यादातर संचार कंपनियां बकाया प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं करवा रही हैं. इन कंपनियों पर चार साल से करीब 10 करोड़ रुपये का बकाया है.
नगर निगम (Municipal Corporation) ने संचार कंपनियों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए बड़ी योजना बनाई है. योजना के अनुसार जिन लोगों की जमीन, छतों पर टावर लगे हैं, उनसे ही यह टैक्स वसूला जाएगा.
नगर निगम क्षेत्र में संचार कंपनियों के करीब 336 टावर (Mobile Tower) लगे हुए हैं. नियमों के हिसाब से टावर संचालित करने वाली कंपनियों को प्रति साल 10 हजार रुपये प्रति छतरी टैक्स जमा कराना होता है. निगम की टैक्स ब्रांच के अधिकारियों का मानना है कि टावर संचालन से जुड़ी कंपनियों ने कई साल से रिन्युअल फीस जमा नहीं कराई. साथ ही प्रॉपर्टी टैक्स भी जमा नहीं कराया जा रहा है.
जल्द भेजे जाएंगे नोटिस
नगर निगम रोहतक के ज्वाइंट कमिश्नर सुरेश कुमार ने बताया कि अब तय किया गया है कि जिन छतों, प्लॉट, मकान, दुकान, प्रतिष्ठान आदि पर टावर लगे हुए हैं, उन्हीं संपत्ति मालिकों से टैक्स लिया जाएगा.
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जल्द ही ऐसे संपत्ति मालिकों का ब्योरा तैयार करके उन्हें नोटिस दिए जाएंगे. यदि टैक्स जमा कराने में संपत्ति मालिक कोताही बरतेंगे तो संबंधित साइट को सील कर दिया जाएगा.
नियमों की अनदेखी
नगर निगम ने करीब तीन साल पहले भी सर्वे किया था. इस दौरान संचार कंपनियों ने सहयोग नहीं किया. ज्यादातर संचार कंपनियों के टावर पर एक के बजाय 5 से 12 तक छतरियां लगी हुई थीं. टावर संचालन का जिम्मा सबलेट यानी एक से दूसरी-तीसरी कंपनी को कर दिया गया. इसका नुकसान यह हो रहा है कि नगर निगम कंपनी मालिकों को चिह्नित नहीं कर पा रहा है.