भागकर शादी करने की अनोखी प्रथा, घरवाले भी खुशी-खुशी देते थे मंजूरी!
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भागकर शादी करने की अनोखी प्रथा, घरवाले भी खुशी-खुशी देते थे मंजूरी!

Adhbhut Himachal की सैर: प्यार करने वाले कभी डरते नहीं, जो डरते है वो कभी प्यार करते नहीं. हमारा जमाना चाहे कितना भी बदल गया हो, लेकिन भाग कर शादी करना आज भी गलत माना जाता है. यहां तक की भाग कर शादी करने वाले लड़की लड़की को घर तक से भी निकाल दिया जाता है, लेकिन हिमाचल में एक अनोखी प्रथा थी जहां भाग कर शादी करना शुभ माना जाता था.

भागकर शादी करने की अनोखी प्रथा, घरवाले भी खुशी-खुशी देते थे मंजूरी!

Adhbhut Himachal की सैर: सफर बहुत लंबा होगा मेरा लेकिन तुम उस इंतजार का भी इंतजार बनने के लिए तैयार रहना. हिमाचल में एक ऐसी प्रथा है जब भागकर शादी करने पर परिवार वाले लड़का और लड़की से सभी रिश्ते नाते तोड़ते नहीं बल्कि दोनों को सात जन्मों तक साथ रहने का आशीर्वाद देते थे.
इस अनोखी परंपरा से जहां एक तरफ दो प्यार करने वाले हमेशा के लिए एक हो जाते थे. वहीं ऐसा करने पर यहां ना दहेज लिया जाता था और ना ही दिया जाता था.

 

मन पसंद पार्टनर चुनने की आजादी 
हिमाचल में जहां हर तरफ प्रकृति का प्‍यार बरसता है. वहीं,प्‍यार करने वालों के लिए भी ये वादियां किसी स्‍वर्ग से कम नहीं है. लाहौल स्पीति में हर 15 अगस्त को एक ऐसा मेला लगता था. जहां प्यार करने वाले लड़के-लड़कियों को अपने मन पसंद पार्टनर चुनने की पूरी आजादी मिलती थी.

लड़के की होती थी खूब पिटाई! 
15 अगस्त को लगने वाला ये मेला 2 से 3 दिन तक चलता था. मेले में लड़का घरवालों से चुपके अपनी मनपसंद लड़की को भगा कर ले जाता था और बाद में परिवारवालों को भी उनकी शादी की मंजूरी देनी ही पड़ती थी. सिर्फ भागने से ही लड़का और लड़की की शादी नहीं करवा दी जाती थी बल्कि दोनों को तेज भागकर कहीं छुपना पड़ता था. 
अगर भीड़ जोड़े तो पकड़ लेती है तो लड़के की खूब पिटाई की जाती थी और लड़की को उसके घरवालों को सौंप दिया जाता था. लोगों का तो ये भी कहना था कि ऐसी परंपरा का सिर्फ यही कारण था कि जनजातीय क्षेत्र होने के कारण शादी का खर्चा उठाना यहां मुश्किल हो जाता था, लेकिन ऐसा करने से शादी पर होने वाला खर्चा भी बच जाता था.

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