हिमाचल का पहला प्लाज्मा एक्सचेंज करने वाला मेडिकल कालेज बना टांडा, युवती को दिया नया जीवन
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हिमाचल का पहला प्लाज्मा एक्सचेंज करने वाला मेडिकल कालेज बना टांडा, युवती को दिया नया जीवन

Plasma: डॉ राजेन्द्र प्रसाद आर्युविज्ञान महाविद्यालय व अस्पताल टांडा ने अपनी उपलब्धि में एक ओर अध्याय जोड़ लिया है. संस्थान में प्लाज्मा एक्सचेंज किया गया है. जिससे 19 साल की युवती को फिर से जीवनदान मिला है. 

File photo

Plasma Treatment: डॉ राजेन्द्र प्रसाद आर्युविज्ञान महाविद्यालय व अस्पताल टांडा ने अपनी उपलब्धि में एक ओर अध्याय जोड़ लिया है. संस्थान में प्लाज्मा एक्सचेंज प्रक्रिया से एक युवती को नया जीवन दिया है.  प्लाज्मा एक्सचेंज प्रक्रिया शुरू होने से टांडा मेडिकल कालेज में उन सैंकड़ों मरीजों को राहत मिलेगी जो अपना इलाज करवाने के लिए बाहरी प्रदेशों में जाते हैं. 

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संस्थान की इस उपलब्धि पर संस्थान के प्राचार्य डा भानू अवस्थी ने न्यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग की पीठ थपथपाई है.  टांडा मेडिकल कॉलेज में अब सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं का लाभ मिलना शरू हो गया है. मेडिकल कॉलेज द्वारा पहले से ही प्रदान की जा रही सेवाओं के स्पेक्ट्रम में लगातार इजाफा कर रही है. 

बता दें, टांडा में यह पहली प्रक्रिया है.  इस उपलब्धि पर जानकारी देते हुए संस्थान के प्राचार्य डॉ भानु अवस्थी ने बताया कि एक 19 वर्षीय युवती को 23 मई को अचानक पीठ दर्द और निचले अंगों को हिलाने में असमर्थता हुई और दो दिन से ऊपरी अंगों की कमजोरी के साथ न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया था. उसने अपने पेशाब और मल त्याग पर भी नियंत्रण खो दिया. 

ऐसे में उसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के मामले के रूप में निदान किया गया था.  उन्होने बताया कि रोगी के अपने तंत्रिका तंत्र के खिलाफ एंटीबॉडी का गठन किया गया था.  विभाग के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ अमित भारद्वाज व उनकी टीम ने इलाज शुरू किया.  रोगी ने कुछ सुधार दिखायाए हालांकि और तत्काल उपचार की आवश्यकता थी. 

ऐसे में डॉ अभिनव राणा नेफ्रोलॉजिस्ट के साथ मामले पर चर्चा की गई और रोगी के लिए प्लाज्मा एक्सचेंज शुरू करने का निर्णय लिया गया और वैकल्पिक दिन प्लाज्मा एक्सचेंज शुरू किया गया. जिसके बाद रोगी ने सुधार दिखाया और अब अपने पैर हिला रही है. वहीं,  डॉक्टर पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद कर रहे हैं. 

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जानकारी के अनुसार, इस प्रक्रिया को डॉ अमित भारद्वाज न्यूरोलॉजिस्ट और डॉ अभिनव राणा नेफ्रोलॉजिस्ट की टीम ने अपनी टीम के साथ अंजाम दिया.  इस तरह की चिकित्सा पहली बार डॉ राजेन्द्र प्रसाद आर्युविज्ञान महाविद्यालय व अस्पताल टांडा में शुरू की गई है और वर्तमान में हिमाचल में एकमात्र ऐसी चिकित्सा सुविधा है जहां यह शुरू की गई है.  वहीं,  चिकित्सा की शुरूआत से निश्चित रूप से प्रदेश के लोगों को लाभ होगा और रोग से पीड़ित रोगियों के लिए ये अस्पताल आशा की किरण बनेगी. 

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