Swachh Survekshan Grameen 2023: हिमाचल प्रदेश में जिला ऊना की 15 पंचायतों में बेहतर कार्य किया गया है. इसके लिए डीआरडीए भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान डीसी राघव शर्मा ने कहा कि सभी पंचायतों से ठोस व तरल कचरे के निष्पादन के लिए नगर पंचायत से संपर्क रखें.
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राकेश मल्ही/ऊना: स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण- 2023 के अंतर्गत जिला ऊना की 15 पंचायतों में बेहतर कार्य करने के लिए डीआरडीए भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें उपायुक्त राघव शर्मा भी पहुंचे. इस अवसर पर उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर 5 हजार से अधिक जनसंख्या के लिए विकास खंड हरोली की ग्राम पंचायत ईसपुर जिला स्तर पर प्रथम स्थान पर रही है जबकि खंड स्तर पर ब्लॉक गगरेट की ग्राम पंचायत अंबोटा प्रथम और ब्लॉक ऊना की बहडाला पंचायत ने प्रथम स्थान हासिल किया है.
उपायुक्त राघव शर्मा ने बताया कि 2 से 5 हजार तक की जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों में जिला स्तर पर ब्लॉक ऊना की ग्राम पंचायत अजौली ने प्रथम स्थान प्राप्त किया जबकि ब्लॉक अम्ब की ग्राम पंचायत मुबारिकपुर, ब्लॉक बंगाणा की ग्राम पंचायत मुच्छाली, ब्लॉक गगरेट की ग्राम पंचायत कुनेरन, ब्लॉक हरोली की ग्राम पंचायत बीटन और ब्लॉक ऊना की ग्राम पंचायत बनगढ़ प्रथम स्थान पर रही है.
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डीसी राघव शर्मा ने बताया कि 2 हजार से कम जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों में जिला स्तर पर अम्ब ब्लॉक की ग्राम पंचायत नारी चिंतपूर्णी प्रथम स्थान पर रही जबकि खंड स्तर पर ब्लॉक अंब की ग्राम पंचायत नंदपुर, बंगाणा ब्लॉक की ग्राम पंचायत पिपलू, ब्लॉक गगरेट की ग्राम पंचायत अम्लैहड़, ब्लॉक हरोली की ग्राम पंचायत रोड़ा व ब्लॉक ऊना की ग्राम पंचायत छतरपुर प्रथम स्थान पर रही.
उपायुक्त ने बताया कि जिला की 245 पंचायतों में से 15 ग्राम पंचायतों को स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2023-24 के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण का पुरस्कार मिला है. इस मौके पर उन्होंने सभी पुरस्कार विजेता पंचायतों को बधाई दी. उन्होंने सभी पंचायत प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे विजेता पंचायतों से प्रेरणा लें और आगामी वर्ष के लिए स्वच्छता के लिए बेहतर कार्य करें ताकि वे भी स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार का हिस्सा बन सके.
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उन्होंने जिला की सभी पंचायतों से ठोस व तरल कचरे के निष्पादन के लिए नगर पंचायत से नियमित संपर्क रखने को कहा ताकि कचरे का सही ढंग से निष्पादन किया जा सके. उन्होंने पंचायत प्रधानों से कहा कि वे पंचायतों को एक मॉडल के रूप में विकसित करें. पंचायत स्तर पर लोगों को सूखे व गीले कचरे के अलग-अलग निष्पादन के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करें ताकि गांवों का वातावरण शुद्ध व स्वच्छ बना रहे.
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