यमुनानगर के चाचा-भतीजी ने जर्मनी में किया कमाल, बने मेंबर ऑफ पार्लियामेंट
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यमुनानगर के चाचा-भतीजी ने जर्मनी में किया कमाल, बने मेंबर ऑफ पार्लियामेंट

यमुनानगर के अलाहर गांव निवासी चाचा भतीजी ने ना सिर्फ प्रदेश बल्कि देश का नाम भी  रोशन किया है। हरियाणा के छोटे से गांव अल्हार से निकल कर चाचा-भतीजी जर्मन में जाकर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए हैं। 

गांव अल्हार से निकल कर चाचा-भतीजी जर्मन में जाकर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए हैं

कुलवंत सिंह/ यमुनानगर : कहते हैं जब हौसले बुलंद हो और मन में कुछ करने की चाह हो, तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है। कुछ ऐसी है कहानी है यमुनानगर के गांव अल्हार के रहने वाले चाचा-भतीजी की। 

यमुनानगर के अलाहर गांव निवासी चाचा भतीजी ने ना सिर्फ प्रदेश बल्कि देश का नाम भी  रोशन किया है। हरियाणा के छोटे से गांव अल्हार से निकल कर चाचा-भतीजी जर्मन में जाकर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए हैं। दोनों ने जर्मनी में मेंबर आफ पार्लियामेंट का चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया है। यह चुनाव 14 मार्च को हुआ था। गांव से जर्मनी के लिए लेबर का कार्य करने निकले राहुल को यह नहीं पता था कि वह एक दिन इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लेंगे और जर्मनी में मेंबर ऑफ पार्लिमेंट के सदस्य का चुनाव लड़ इतनी भारी मतों से जीत हासिल करेंगे। ये एक मिसाल ही नहीं बल्कि चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन हौसले बुलंद हो तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है।

वहीं उनकी भतीजी कृति कुमार ने क्लस्टरबाग से मेंबर ऑफ पार्लियामेंट का चुनाव जीतकर एक मिसाल पेश की है। जिसने जर्मनी जैसे देश मे सबसे कम उम्र में इतनी बड़ी जीत हासिल की है। बता दें कि राहुल और उसके भाई कपिल कंबोज लंबे समय से जर्मनी में रह रहे हैं। राहुल के भाई कपिल कंबोज भी 2016 में क्लस्टरबाग से मेंबर ऑफ पार्लियामेंट रह चुके हैं। फ्रैंकफर्ट सिटी लोकसभा क्षेत्र में कुल साढ़े पांच लाख मतदाता हैं, जिनमें लगभग 25 हजार भारतीय मूल के मतदाता हैं। माना जा रहा है कि यही भारतीय उनकी जीत का आधार बने।

राहुल कुमार और उनका परिवार समाजसेवा से जुड़ा है। जब भी वह गांव में आते हैं, तो यहां भी सामाजिक कार्य करते हैं। राहुल के परिवार के लोगों ने बताया कि 14 मार्च को हुए चुनाव में उनके भतीजे राहुल और भतीजी कीर्ति ने फ्रैंकफोर्ट इंटरनेशनल सिटी से फ्राइवीलर पार्टी से मेंबर ऑफ पार्लियामेंट का चुनाव लडा और नगर काउंसलर बन गए। जर्मनी में 93 सीटों में से 31 सीटों पर ये चुनाव हुआ। यह पहली बार हुआ जब फ्रैंकफोर्ट इंटरनेशनल सिटी से कोई भारतीय चुनाव जीता है।

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