Om Prakash Chautala का विवादों से रहा लंबा नाता, जानें कैसा रहा इनका राजनीतिक इतिहास
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Om Prakash Chautala का विवादों से रहा लंबा नाता, जानें कैसा रहा इनका राजनीतिक इतिहास

Om Prakash Chautala News: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का शुक्रवार को गुरुग्राम में निधन हो गया. यहां से उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सिरसा में लाया गया. यहां जानें उनका राजनीतिक इतिहास कैसा रहा. 

 

Om Prakash Chautala का विवादों से रहा लंबा नाता, जानें कैसा रहा इनका राजनीतिक इतिहास

Om Prakash Chautala Political Career: ओम प्रकाश चौटाला भारतीय राजनीति में एक कद्दावर शख्सियत और जाट समुदाय के एक प्रमुख नेता थे, लेकिन उनका करियर विवादों से भरा रहा और उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में जेल की सजा भी काटनी पड़ी. एक जनवरी, 1935 को जन्मे चौटाला, पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. शुक्रवार को 89 साल की उम्र में गुरुग्राम में उनका निधन हो गया.

एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में जन्मे चौटाला पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के सबसे बड़े बेटे थे. वह अपने पिता द्वारा स्थापित पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रमुख थे. चौटाला के पिता भारतीय राजनीति में एक कद्दावर हस्ती थे. देवीलाल उप प्रधानमंत्री रहने के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे थे. उन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता था.

हालांकि, चौटाला कभी भी अपने पिता की बराबरी नहीं कर सके, लेकिन वह कम शिक्षित होने के बावजूद अपनी जबरदस्त राजनीतिक सूझबूझ और हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते थे. चौटाला पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे, हालांकि 1999 से 2005 के बीच ही उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. इस बीच, 1989 से जुलाई 1999 तक वह बीच-बीच में मुख्यमंत्री रहे. 

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साल 1989 में जब देवीलाल जनता दल सरकार में उप प्रधानमंत्री बने, तो चौटाला मुख्यमंत्री बने. वह छह बार विधायक रहे और 1970 में पहली बार सिरसा के ऐलनाबाद से विधायक चुने गए, जिसे चौटाला परिवार का गढ़ माना जाता था. उन्होंने नरवाना, उचाना, दड़बा कलां और रोड़ी से भी चुनाव जीता. चौटाला के छोटे भाई प्रताप और रणजीत चौटाला भी विधायक रहे, जबकि दूसरे भाई जगदीश के बेटे आदित्य देवीलाल इनेलो के मौजूदा विधायक हैं.

चौटाला के दो बेटे अभय और अजय दोनों बेटे भी राजनीति में हैं. चौटाला का विवादों से भी गहरा नाता रहा है. साल 1990 में महम विधानसभा सीट बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रही थी. विपक्ष ने तब चौटाला पर आरोप लगाया था कि वह वहां अपनी जीत के लिए दबाव डाल रहे हैं. यह प्रकरण हरियाणा की राजनीति में 'महम कांड' के नाम से जाना गया. बाद में इस सीट पर चुनाव तीन बार स्थगित करने पड़े. 'महम कांड' लोक दल के बागी नेता और सात अन्य के हिंसा में मारे जाने के बाद हुआ था. साल 1989 से 1991 के बीच चौटाला कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री रहे.
 
साल 1999 में उन्होंने कार्यकाल पूरा किया. इस दौरान भाजपा इनेलो की सहयोगी थी, हालांकि वह सरकार का हिस्सा नहीं थी. इनेलो उस समय केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी पार्टी थी, लेकिन 2005 के हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले दोनों का नाता टूट गया. चौटाला दिसंबर 1989 से मई 1990 तक, 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 तक, मार्च 1991 से 6 अप्रैल 1991 तक और जुलाई 1999 से फरवरी 2005 तक मुख्यमंत्री रहे. साल 2005 के बाद इनेलो हरियाणा में कभी सत्ता में नहीं आई और चुनावी पराजय के बाद वर्षों तक इसका ग्राफ गिरता रहा.

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दिसंबर 2018 में पारिवारिक कलह के चलते इनेलो में विभाजन के बाद चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (जजपा) का गठन किया. जजपा ने बाद में 2019 में भाजपा को समर्थन दिया, जिसे बहुमत नहीं मिला था, लेकिन मार्च 2024 में यह गठबंधन टूट गया, जब भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया. चौटाला को उस समय बड़ा झटका लगा था, जब 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में उन्हें जेल जाना पड़ा. उस समय चौटाला, उनके बेटे अजय, एक आईएएस अधिकारी और 53 अन्य लोगों को साल 2,000 में इनेलो की सरकार के दौरान 3,206 जूनियर बेसिक शिक्षकों की अवैध भर्ती के मामले में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई थी.

जनवरी 2013 में विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में सभी को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा सुनाई थी. शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में 10 साल की जेल की सजा काटते हुए चौटाला को जुलाई 2021 में दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा किया गया था. बाद में मई 2022 में आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में चार साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें फिर से तिहाड़ जेल भेज दिया गया. पहले की तरह उन्हें जेल नंबर दो में रखा गया और 87 साल की उम्र में वह जेल में सबसे बुजुर्ग कैदी बन गए थे. अगस्त 2002 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ चौटाला की अपील लंबित रहने तक उनकी चार वर्ष की सजा निलंबित कर दी थी.

साल 2002 में चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो सरकार को विभिन्न क्षेत्रों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, जब जींद जिले के कंडेला गांव में आंदोलनकारी किसानों पर पुलिस गोलीबारी में नौ किसानों की मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री के रूप में अपने पूरे कार्यकाल में चौटाला का 'सरकार आपके द्वार' कार्यक्रम इनेलो सरकार की एक बड़ी पहल थी. मुख्यमंत्री ने हर गांव का दौरा किया और लोगों से उनकी जरूरतों के बारे में पूछा. उनकी मांगों पर अमल करते हुए उनके सामने ही फैसले लिए.

82 वर्ष की उम्र में चौटाला ने तिहाड़ जेल में 10 साल की सजा काटते हुए प्रथम श्रेणी में उच्चतर माध्यमिक की परीक्षा उत्तीर्ण की. चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला इनेलो के वरिष्ठ नेता हैं, जबकि पूर्व सांसद अजय चौटाला जजपा के प्रमुख हैं. अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला हरियाणा के विधायक हैं, जबकि अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला जजपा के नेता हैं. राज्य की मनोहर सरकार के दौरान दुष्यंत चौटाला हरियाणा के उपमुख्यमंत्री थे. चौटाला की पुत्रवधू और अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला भी जजपा से विधायक रह चुकी हैं. 

(भाषा)

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