Dalai Lama Birthday: दलाई लामा को पूरे दुनिया में जाना जाता है. आज उनता जन्मदिन है. इस खास मौक पर हम आपको उनके बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं.
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Dalai Lama Birthday: दलाई लामा से पूरी दुनिया वाकिफ है. लेकिन आखिर वह कहां से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें चीन क्यों पसंद नहीं करता है और दलाई लामा कौन बनते हैं? आज दलाई लामा का जन्मदिन है और इस मौके पर हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं. बता दें 1959 में दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत पहुंचे थे. तब से वह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं.
चीन हमेशा से दलाई लामा से चिढ़ता रहा है. वह उन्हें तिब्बत के लिए खतरा बताता है. चीन को डर है कि दलाई लामा तिब्बत में बगावत के बीज बो सकते हैं. वह उन्हें अलगाववादी भी कहता है. हालांकि दलाई लामा को हमेशा पूरे विश्व से का समर्थन मिलता आया है. 1989 में नोबेल पीस पुरुस्कार से सम्मानित होने वाले दलाई लामा का नाम Lhamo Thondup है. उनका जन्म तिब्बत में 6 जुलाई 1935 को हुआ था.
1912 में तिब्बत ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था. उस दौरान चीन इसके लिए सहमत था. लेकिन 40 साल बाद चीन में कम्युनिस्ट सरकार बनी और फिर तिब्बत पर हमला हो गया. इस लड़ाई में तिब्बतियों को शिकस्त का सामना करना पड़ा. तिब्बती कभी चीन के साथ मिलकर नहीं रहना चाहते थे.
आपको जानकारी के लिए बता दें दलाई लामा तिब्बत की आजादी की हमेशा से बात करते रहे हैं. वह 1956 में चीन के डेलीगेशन के साथ भारत दौर पर आए थे. रिपोर्ट्स के अनुसार दलाई लामा ने उस समय के प्रधानंत्री जवाहर लाल नेहरू से तिब्बत की आजादी की मांग की थी. जिसपर उन्होंने दलाई लामा को सलाह दी थी कि उन्हें ऑटोनॉमी की मांग करनी चाहिए. यही कारण है कि चीन उनसे गुरेज करता आया है. दलाई लामा का तिब्बतियों पर काफी प्रभाव है, इसी बात से चीन फिक्रमंद रहता है.
नेहरू के साथ हुई दलाई लामा की मीटिंग के बाद चीन की सरकार ने उन्हें बीजिंग दौरे पर आने की बात कही. इसके साथ ही कहा कि वह अपने साथ कोई भी सैनिक ना लेकर आएं. चीन की इस चाल के बारे में दलाई लामा के एक करीबी दोस्त ने उन्हें खबर दी और बताया कि अगर वह अगर ऐसा करेंगे तो उन्हें चीन कैद कर लेगा. जिसके बाद दलाई लामा ने बीजिंग ना जाने का फैसला किया और खतरे को भांपते हुए सैनिक के भेष में भारत आ गए. 1959 मे भारत ने उन्हें शरण दे दी और उनके आने के बाद कई हजार लामा भारत में शरण लेने के लिए पहुंचे.
दलाई लामा एक पद क नाम है. जिसका मतलब ज्ञान का महासागर है. ल्हामो थोंडुप तिब्बत के 14वें दलाई लामा हैं. उन्हें 22 फरवरी 1940 को ये पद दिया गया था. उस वक्त उनकी उम्र महज 5 साल थी. तिब्बतियों का मानना है कि दलाई लामा का चुनाव नहीं होता बल्कि उन्हें ढूंढा जाता है, क्योंकि उनके पास खुद इस बात का चुनाव करने की ताकत होती है कि वह किस शरीर में अपना अगला जन्म लेंगे. जब किसी दलाई लामा की मौत हो जाती है तो अगले दलाई को ढूंढने की जिम्मेदारी लामा और तिब्बत सरकार की होती है.
कई लोगों का मानना ये भी है कि चीन और भारत के युद्ध की वजहों में से एक दलाई लामा भी थे. चीन इस बात से नाखुश था कि भारत ने दलाई लामा को शरण दी थी. ऐसे में भारत की कई शांति करने की कोशिशों के बाद भी चीन ने हिंदुस्तान पर हमला बोल दिया.