दिल्ली के मुखर्जीनगर में लाखों की तादाज में बच्चे आते हैं और यहां पर सरकारी अफसर बनने के लिए इम्तेहान की तैयारी करते हैं. फिल्म 12वीं फेल इन्हीं बच्चों की कहानी पर बनी है.
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निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी आने वाली फिल्म '12वीं फेल' का ट्रेलर जारी कर दिया है. यह एक विचारोत्तेजक सामाजिक फिल्म है. फिल्म के बारे में बात करते हुए उन्होंने इसे उम्मीद और कभी हार न मानने वाली कहानी बताया. फिल्म के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए विधु विनोद चोपड़ा ने कहा, "आज के वक्त में मैं उम्मीद की एक कहानी, कभी हार न मानने की कहानी बताना चाहता था. 12वीं फेल उससे भी ज्यादा है."
देखें ट्रेलर:
कई मरहले से गुजरे निर्देशक
उन्होंने कहा, “मैं इस फिल्म को बनाने में हंसा हूं, रोया हूं, गाया हूं और मजा लिया है. मुझे सच में यकीन है कि जब यह फिल्म सिनेमाघरों में आएगी तो इसे यूनिवर्सल कनेक्ट मिलेगा." फिल्म में एक्टर विक्रांत मैसी अहम किरदार में हैं और इसमें चंबल के एक छोटे से गांव से दिल्ली के मुखर्जी नगर में UPSC की तैयारी के लिए मसरूफ जगह तक हीरो के सफर की झलक है. कहानी एक शख्स की IPS अफसर बनने की सीढ़ी चढ़ने की कठिन चाहत के इर्द-गिर्द घूमती है. ट्रेलर में बेहतरीन टोन और सौंदर्य है, जो अपने साफ फिल्मी टोन के बावजूद इसे बहुत यकीनी बनाते हुए एक देहाती माहौल बनाने में कामयाब होता है.
मामूली आदमी से अफसर बनने तक की कहानी
गांवों से IPS और IAS इम्तेहान की तैयारी करने आने वाले ज्यादातर लोगों के पास बहुत कम पैसा और सामान होता है, हालांकि वे फिर भी अपने लिए एक रास्ता तय करते हैं. '12वीं फेल' फिल्म अपनी मिट्टी से उठकर संघर्ष करते हुए एक अफसर बनने की कहानी है.
बेहतरीन हैं डायलॉग्स
ट्रेलर में कुछ बहुत ही दमदार और जोरदार डायलॉग्स हैं, जैसे, ''अपनी सीट और वर्दी की वजह से लोगों से अपना सम्मान न कराएं बल्कि उन्हें अपना सम्मान दें ताकि वे स्वयं सीट और वर्दी का सम्मान करें.'' ऐसा ही एक और डायलॉग है: “ये लोग जो आईपीएस की तैयारी करने आते हैं, मवेशियों के झुंड की तरह आते हैं. उनके पास कुछ भी नहीं है और वे छोटी, गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि वे कुछ लेकर नहीं आते, उनमें इच्छाशक्ति और जोश है. यह अटूट है, और यह पर्याप्त से भी ज्यादा है.”
अनुराग पाठक के उपन्यास पर आधारित है
'12वीं फेल' अनुराग पाठक के नॉवेल पर आधारित है जो UPSC इम्तेहान देने वाले लाखों बच्चों की असल जिंदगी की कहानी पर है. यह बताता है कि कैसे ये लोग बड़ी तादाद में आते हैं, उनके पास बहुत कम चीजें होती हैं. नौजवानों की भावना के साथ-साथ बड़ी दिक्कतों के सामने कठोर लचीलेपन का जश्न मनाने वाली यह कहानी कई UPSC स्टूडेंट्स और उनकी मेहनत की लाखों कहानियों का पुनर्कथन है. यह फिल्म 27 अक्टूबर को दुनिया भर में हिंदी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषाओं में रिलीज होने के लिए तैयार है.