Israel Hamas War: इसराइल और हिज्बुल्ला के बीच पिछले 11 महीने से जारी जंग में अब तक 41 हजार से ज्यादा फलस्तीनियों की मौत हो गई है. जंग शुरू होने के कुछ ही बाद हूती ग्रुप गाजा में फलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाते लाल सागर और अदन की खाड़ी में 'इसराइल से जुड़े' जहाजों को निशाना बना रहा है. अब उन्होंने इसारइल को खुली धमकी दी है.
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Houthi Rebels: यमन के हूती रक्षा मंत्री ने ऐलान किया कि उनका ग्रुप इसराइल के खिलाफ हमले जारी रखेगा. उन्होंने कहा कि हमले तब तक जारी रहेंगे जब तक गाजा में इसराइली सैन्य ऑपरेशन रुक नहीं जाते. हूती ग्रुप के अल-मसीरा टीवी ने डिफेंस मिनिस्टर मोहम्मद नासिर अल-अतीफी के हवाले से कहा, "इसराइल और उसके समर्थकों को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि हमारे हमले जारी रहेंगे."
अल-अतीफी ने आगे कहा, "हमारी जमीन या हमारे सहयोगियों पर किसी भी हमले का तीव्र और मजबूत जवाब दिया जाएगा. हम इसराइल और उसके संवेदनशील ठिकानों पर हमला करने के लिए मजबूत हैं और तब तक नहीं रुकेंगे जब तक गाजा पर हमले बंद नहीं हो जाते."
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक हूती रक्षा मंत्री ने कहा कि इसराइल "अब हमारी गोलीबारी की सीमा में है." बता दें कि, इस सप्ताह की शुरुआत में हूती ग्रुप ने 'तेल अवीव में हुए बैलिस्टिक मिसाइल हमले' की जिम्मेदारी भी ली थी. पिछले साल नवंबर से हूती ग्रुप गाजा में फलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए लाल सागर और अदन की खाड़ी में 'इसराइल से जुड़े' जहाजों को निशाना बना रहा है. साथ ही इसराइली इलाकों में मिसाइलों और ड्रोन से हमले भी कर रहे हैं.
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हूती इन शर्तों के साथ समझौते को तैयार
इस बीच, हूती विद्रोहियों ने कहा है कि उनका ग्रुप यमनी सरकार और सऊदी की अगुआई वाले गठबंधन के साथ शांति समझौते के लिए तैयार है. इसके लिए हूती के सुप्रीम पोलिटिकल काउंसिल के प्रमुख महदी अल-मशात ने कुछ शर्तें भी रखी हैं. अल-मशात ने कहा, "शांति के लिए एकमात्र रास्ता है - यमनियों को वेतन देना, यमन के हवाई अड्डों और बंदरगाहों को खोलना और सभी कैदियों को रिहा करना."
उन्होंने शुक्रवार को राजधानी सना पर हूती के कब्जे की 10वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले एक टेलीविजन भाषण में यह बात कही. जिसमें शांति की जरुरतों में मुआवजे का भुगतान, नुकसान की भरपाई और यमन गणराज्य से सभी विदेशी शक्तियों की पूरी तरह से वापसी भी शामिल है."
10 साल से यमन संघर्ष में फंसा हुआ है
उल्लेखनीय है कि यमन पिछले एक दशक यानी 2014 से ही संघर्ष में फंसा हुआ है. 21 सितंबर, 2014 को, हूती विद्रोहियों ने कई उत्तरी प्रांतों पर कब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद इंटरनेशनल लेवल पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार को राजधानी सना से बाहर जाना पड़ा था.