Bhilai Buldozer Action: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ के भिलाई में प्रशासन का बुलडोजर चला है. भिलाई नगर निगम ने मस्जिद के पास 100 अवैध दुकानों को बुलडोजर जमींदोज कर दिया. वहीं, 8 सितंबर को जमीयत उलमा- ए- हिन्द ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ एक मसौदा कर लिया है, जो जल्द ही प्रस्तुत करेगी.
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Bhilai Buldozer Action: छत्तीसगढ़ के भिलाई नगर निगम क्षेत्र में मस्जिद की जमीन के पास अवैध कब्जा कर बनाई गई 100 से ज्यादा दुकानों पर सोमवार को बुलडोजर एक्शन हुआ है. सभी दुकानों और मकानों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया. साथ ही अतिक्रमण करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी है. वहीं, इस कार्रवाई को लेक करबला कमेटी ने एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया है.
दरअसल, जोन-3 करबला मस्जिद कमेटी को साडा(विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण) के तहत छोटी-सी भूमि मस्जिद बनाने के लिए आवंटित की गई थी, लेकिन आरोप है कि स्थानीय लोगों ने कमेटी के साथ मिलकर करीब 2.5 एकड़ जमीन पर सैकड़ों दुकानें और कई मैरिज हाल बना लिए. जिसे आज पुलिस-प्रशासन समेत भिलाई नगर निगम की टीम ने ध्वस्त कर दिया.
अफसरों ने इस कार्रवाई को लेकर क्या कहा?
मौके पर भिलाई के SDM और तहसीलदार समेत भारी पुलिस बल की मौजूदगी में नगर निगम ने सुबह पांच बजे से कार्रवाई शुरू की और 100 से ज्यागा दुकानों को जमींदोज कर दिया. अफसरों ने बताया, "स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (SADA) ने करबला कमेटी को मस्जिद बनाने के लिए 500-800 वर्ग फीट जमीन दी थी. आरोप है कि कमेटी ने ढाई एकड़ जमीन पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा किया गया है. इस अवैध कब्जे वाली जमीन पर दुकानें, मजार और शादी घर का निर्माण किया गया है."
अदालत ने नगर निगम को 120 दिनों का दिया था वक्त
बता दें, अवैध कब्जे को लेकर बीते दिनों हाई कोर्ट में पिटीशन दायर की गई थी. इसके बाद अदालत ने दुर्ग कलेक्टर को 120 दिन में फैसला लेने का वक्त दिया था. निगम आयुक्त ने तीन दिन पहले कब्जाधारियों को इस संबंध में नोटिस भी जारी किया था. अफसरों ने बताया कि नोटिस देने के बाद भी कब्जा नहीं हटाया गया.
57 सालों से करबला कमेटी है इस जमीन पर कब्जा, लेकिन आज ही क्यों हुई कार्रवाई?
बुलडोजर सिर्फ दुकानों पर ही नही बल्कि मस्जिद के बाहर स्थित मुस्लिम समुदाय के आस्था के केंद्रों में से एक करबला भी नहीं बख्शा और बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया. दूसरी तरफ, करबला कमेटी का आरोप है कि ये सारी जमीनें वो सन 1957 इस्तेमाल कर रही है. लेकिन साडा के आने के बाद इन सारी जमीनों पर सरकार का कब्जा हो गया. इसके बाद कोर्ट के जरिए साल 1992 में मुस्लिम समुदाय को 72 डिसमिल जमीन मस्जिद बनाने के लिए दी गई.
करबला कमेटी लगाया ये आरोप
मुसलामनों ने बताया कि यहां पर सारी दुकानें 15 साल पहले बनी है. अगर ये गैर-कानूनी थी तो पहले इस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? करबला कमेटी ने आरोप लगाया निगम कमिश्नर पर आरोप लगाया कि दुकान खाली करने के लिए वक्त नहीं दिया गया और सराकरी नोटिस को तीन बाद उस वक्त दिया गया जब सरकारी दफ्तरें शनिवार और रविवार को बंद थी. जबकि निगम को नोटिस 4 तारीख को ही मिल गई थी, लेकिन निगम ने करबला को कमेटी को 7 सितंबर को दिया. ताकि करबला कमेटी सरकारी दरवाजा नहीं खटखटा सके.