Muslim Makes Kanwar: पूरे देश में जहां एक तरफ कांवड़ यात्रा के दौरान हिंदू-मुस्लिम में विवाद का दौर चल रहा है, वहीं उत्तराखंड का हरिद्वार जिला ऐसा है, जहां पर कई मुस्लिम कारीगर कांवड़ बनाते हैं. इस काम से इन लोगों का चूल्हा भी जलता है.
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Muslim Makes Kanwar: कांवड़ विवाद को लेकर इन दिनों सियासत गरम है. एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच हरिद्वार के कई ऐसे मुस्लिम परिवार हैं, जिन्होंने भाईचारे की मिसाल कायम की है. ये लोग बिना किसी का धर्म देखे हुए अपना काम कर रहे हैं. ये लोग कांवड़ बनाने के काम को इबादत सोच कर करते हैं. हरिद्वार के ज्वालापुर में रहने वाले कई मुस्लिम परिवार हैं, जिन्होंने पिछले कई सालों से अपने हाथों से कांवड़ तैयार कर ना सिर्फ हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है, बल्कि अपने लिए रोजगार भी जुटाया है.
मुस्लिम बनाते हैं कांवड़
कांवड़ बनाने वाले कुछ कारीगर ऐसे हैं जो कई पीढ़ियों से हर साल इसे तैयार करते हैं. कई तरह के कांवड़ बनाने में माहिर कारीगर मोहम्मद सिकंदर का कहना है कि वे पिछले 35 सालों से कांवड़ बनाते आ रहे हैं. उनसे पहले भी पिछली पीढ़ियां भी यह काम करती थीं. रमजान के महीने से कांवड़ बनाने की शुरुआत कर दी जाती है. कांवड़ बनाते वक्त उसमें साफ सफाई और शुद्धता का ख्याल रखा जाता है. कांवड़ मेला आने पर बाजार में जाकर बेचा जाता है.
पीड़ियों से करते आ रहे काम
वहीं एक और कांवड़ कारीगर का कहना है कि मैं अपने परिवार के साथ लगभग 30 सालों से इस काम में लगा हुआ हूं. इस काम से हमें रोजी रोटी मिलती है. इस काम को करने से दिल को एक सुकून मिलता है. हमने हिंदू मुस्लिम एकता को कायम रखा है. रमजान में हम लोग कांवड़ बनाना शुरू करते हैं. पूरी शुद्धता के साथ हम इस काम को करते हैं. भगवान शंकर के प्रति हमारे मन में भी आस्था है. यह काम हमारे लिए इबादत की तरह है.
घर का चूल्हा जलता है
हरिद्वार के अलावा दूसरे कई शहरों में भी मुस्लिम कारीगर ही कांवड़ बनाते हैं. हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में लालपुल रेलवे लाइन के पास बसी मुस्लिम बस्ती के दर्जनों परिवार पिछले कई दशकों से रंग बिरंगे कांवड़ बना रहे हैं. उनका कहना है कि कांवड़ बनाने से उनके मन को सुकून भी मिलता है और ये उनका रोजगार भी है. इससे उनके घर का चूल्हा जलता है.