Amir Meenai Hindi Shayari: अमीर मीनाई ने अपने ज़माने में और उसके बाद भी अपनी शायरी का लोहा मनवाया. महबूब से इश्क के अलावा इश्क़-ए-हक़ीक़ी और मौज मस्ती वाले शेर भी उन्होंने कसरत से लिखे हैं. उन्होंने 1 फरवरी 1900 में तेलंगाना के हैदराबाद में वफात पाई.
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Amir Meenai Hindi Shayari: अमीर मीनाई 19वीं सदी के उर्दू के बड़े शायरों में शुमार होते हैं. मिर्जा गालिब, दाग दहेलवी और मोहम्मद इकबाल जैसे उनकी बहुत इज्जत किया करते थे. अमीर मीनाई ने उर्दू के अलावा फारसी और अरबी में भी शायरियां लिखी हैं. उनकी पैदाइश एक फरवरी 1829 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुई. अमीर मीनाई ने कई फन पर हाथ आजमाया लेकिन उन्हें गजल और नात लिखने पर महारत हासिल है. अमीर मीनाई ने अपने दौर में 40 किताबें लिखीं.
है जवानी ख़ुद जवानी का सिंगार
सादगी गहना है इस सिन के लिए
सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए
मानी हैं मैं ने सैकड़ों बातें तमाम उम्र
आज आप एक बात मिरी मान जाइए
वो दुश्मनी से देखते हैं देखते तो हैं
मैं शाद हूँ कि हूँ तो किसी की निगाह में
इन शोख़ हसीनों पे जो माइल नहीं होता
कुछ और बला होती है वो दिल नहीं होता
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी
क्यूँ तुम आसान समझते थे मोहब्बत मेरी
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उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो
हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो
तीर खाने की हवस है तो जिगर पैदा कर
सरफ़रोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो
कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद
मिरा ख़त उस ने पढ़ा पढ़ के नामा-बर से कहा
यही जवाब है इस का कोई जवाब नहीं
अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है
हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है
जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा
हया यक-लख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता
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