नई दिल्लीः कोविड की वजह से इस बार की बकरीद की खरीदारी नहीं हो रही है. बाजारें बेरौनक है और ग्राहकों का टोटा है. दुकानदार ग्राहकों की बाट जोह रहे हैं. ’’हम आज सुबह ही कासगंज से दिल्ली तीन बकरे बेचने के लिए पहुंचे हैं.
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नई दिल्लीः कोविड की वजह से इस बार की बकरीद की खरीदारी नहीं हो रही है. बाजारें बेरौनक है और ग्राहकों का टोटा है. दुकानदार ग्राहकों की बाट जोह रहे हैं. ’’हम आज सुबह ही कासगंज से दिल्ली तीन बकरे बेचने के लिए पहुंचे हैं. ग्राहक इन बकरों के 1 लाख 40 हजार रुपए दे रहे हैं जबकि हम तीनों के 3 लाख रुपये मांग रहे हैं.’’ जामा मस्जिद के बाहर ग्राहकों को ढूंढ रहे बकरा व्यापारी जसवंत एक ठंडी आंह भरते हुए यह बात बताई. यूपी के शामली जिले से आए बकरा कारोबारी अफजल ने कहा, करीब 70 बकरे लेकर दिल्ली आया हूं. इनमें से अभी तक 10 बकरे ही बिके हैं. जितने बिकने है वह आज ही के दिन बिकेंगे. इसके अलावा उम्मीद कम है. इस साल ग्राहक भी सस्ता बकरा ढूंढ रहें हैं. दिल्ली निवासी सलीम ने बताया, महामारी का बहुत असर है. लोगों के पास पैसा नहीं है. एक तो इस बार बाजार में बकरे कम है दूसरा बकरों की कमी होने के चलते बकरों के दाम भी बिक्रेता बढ़ा चढ़ा कर बोल रहे हैं. बाजार और ग्राहकी के कमजोर पड़ने की शिकायत अकेले जसवंत, अफजल या सलीम की नहीं है. बाजार में ग्राहक और दुकानदार सभी परेशान है. सभी को अपनी रोजी-रोटी की फिक्र सता रही है.
कारोबारी कर रहे हैं कम खरीदारी की शिकायत
मुस्लिम मजहब में दो खास त्योहार मनाए जाते हैं -ईद-उल-अजहा और ईद-उल फितर. ईद-उल-अजहा बकरीद को कहा जाता है. मुसलमान यह त्योहार कुबार्नी के पर्व के तौर पर मनाते हैं. इस्लाम में इस त्यौहार की खास अहमियत है, लेकिन कोरोनावायरस की वजह से यह त्योहार लगातार दूसरे साल फीका दिखाई दे रहा है. मुल्क भर में 21 जुलाई को बकरीद मनाई जाएगी. जामा मस्जिद के बाहर उर्दू पार्क में महामारी से पहले एक लाख बकरे बिकने आते थे, लेकिन दूसरी साल लगातार बकरा मंडी न के बराबर लगी हुई है. जामा मस्जिद के बाहर बकरा व्यापारी सड़कों पर ही ग्राहक ढूंढ़ रहे हैं, लेकिन इस बार ग्राहक अपनी ढ़ीली जेब के मुताबिक बकरे ढूंढ रहें हैं.
आधी रह गई है बकरों की कीमत
दिल्ली की जामा मस्जिद में हर साल विक्रेता दूसरे राज्यों से भी कुबार्नी के लिए बकरे मंगाते थे. राजस्थान, उत्तरप्रदेश के बरेली, बदायूं, हरियाणा के मेवात से बकरे जामा मस्जिद के बाहर उर्दू पार्क में बिकने आते थे, लेकिन इस बार बकरे बाजार में उतर ही नहीं सके हैं, जिसके चलते इक्के-दुक्के बकरा व्यापारी बकरे बेच रहे हैं. यहां बिकने वाले बकरों की कीमत उनकी नस्ल की बुनियाद पर तय होती है. तोता परी, दुम्बा आदि नस्लों में तोता परी बकरा मुंडा होता है. यानी इस बकरे के कान बड़े होते हैं, उनकी कीमत करीब 30 से 40 हजार रुपए होती है. वहीं दुम्बा बकरा वजनी होता है. यह बड़ा और ऊंचा भी होता है. इसकी कीमत 70 हजार रुपये से शुरू होकर डेढ़ लाख रुपये तक पहुंच जाती है. लेकिन इस साल ग्राहकों की कमी की वजह से बकरों की कीमत नहीं है.
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