श्रीनगर में कल नेशनल कांफ्रेंस के जनरल सेक्रेटरी के अलावा कई लीडरों की एक मीटिंग भी फारूक अब्दुल्ला के निवास पर हुई. जिसमें अक्सर लीडरों ने परिसीमन कमीशन टीम से मिलने के लिए एनसी अध्यक्ष को समर्थन दिया.
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का दौरा तय होने के साथ ही प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। सभी राजनीतिक दल परिसीमन में अपने राजनीतिक आधार और वोट बैंक को बचाए रखने की कवायद में जुट गए हैं, इस बीच परिसीमन कमीशन से मिलने को लेकर नेशनल कांफ्रेंस (NC) के अध्यक्ष डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) आज अपना फैसला सुना सकते हैं कि क्या वह डिलिमिटेशन कमीशन से मिलने जाएंगे या नहीं.
श्रीनगर में कल नेशनल कांफ्रेंस के जनरल सेक्रेटरी के अलावा कई लीडरों की एक मीटिंग भी फारूक अब्दुल्ला के निवास पर हुई. जिसमें अक्सर लीडरों ने परिसीमन कमीशन टीम से मिलने के लिए एनसी अध्यक्ष को समर्थन दिया. अक्सर नेताओं ने कहा कि पार्टी को परिसीमन कमीशन से मिलने के लिए अपनी बात रखनी जरूरी है. ऐसे मैं लग रहा है नेशनल कांफ्रेंस के अलावा 12 ऐसी सियासी पार्टियों से जुड़ी जम्मू कश्मीर की पार्टियां हैं, जिन्होंने परिसीमन कमीशन से मिलने की हामी भर ली है.
बता दें कि जम्मू -कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था. पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के पास होने के बाद जम्मू कश्मीर राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर व लद्दाख में पुनर्गठित हुआ है. लद्दाख के अलग होने के बाद जम्मू कश्मीर में 107 विधानसभा सीटें रह गई हैं. इनमें 24 गुलाम कश्मीर के लिए रिजर्व हैं. 46 कश्मीर व 37 सीटें जम्मू संभाग में हैं.
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