लखनऊ/अहमर हुसैन: आलमी वबा कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए ईद उल अज़हा के मौक़े पर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की हिफाज़ती उपायों और हुकूमत की तरफ से जारी गाइडलाइन के तहत इमाम ईदगाह लखनऊ और इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने ईद उल अज़हा के सिलसिले में एक अहम एडवाइजरी जारी की है जिस पर मुल्क के मुसलमानों से अमल करने की अपील की गई है.
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जानिए क्या है वह एडवाइजरी
- ईद के दिन गुस्ल करना, अच्छे कपड़े पहनना, खुशबू तेल, और सुर्मा लगाना सुन्नत है, इस लिए इन चीज़ों का एहतिमाम किया जाए.
- ईदगाहों और मस्जिदों में ईद उल अज़हा की जमाअत में इंतजामिया की गाइड लाइन के मुताबिक सिर्फ 50 लोग ही नमाज़ अदा करें.
- ईद उल अज़हा की नमाज़ में भी मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का ख़ास ख्याल रखें.
- ईद की नमाज़ के बाद खुतबा पढ़ना सुन्नत है. अगर किसी को खुतबा याद न हो और खुतबे की कोई किताब भी न हो तो वह पहले खुतबे में सूरह फातिहा और सूरह अखलास़ पढ़े और दूसरे खुतबे में दुरूद शरीफ के साथ कोई दुआ अरबी में पढ़ें.
- ईद उल अज़हा के दिन भी न किसी से हाथ मिलायें और न गले मिलें.
- ईद उल अज़हा में हर साहिब-ए-हैसियत मुसलमान पर कुर्बानी करना वाजिब है.
- ईद उल अज़हा के 3 दिनों (10, 11, 12 जिलहिज्ज बमुताबिक़ 21, 22 और 23 जुलाई 2021) में कुर्बानी करना कोई रस्म नहीं, बल्कि खुदा पाक की पसन्दीदा इबादत है. यह हजरत इब्राहीम अलै0 और हजरत इस्माईल अलै0 की सुन्नत है. इन दिनों में इस का बदल कोई दूसरा नेक अमल नही हो सकता. इस लिए कानूनी दायरे में रहते हुए कुर्बानी को जरूरी अंजाम दें.
- जिन इलाकों में कानूनी बन्दिशें हैं या कोशिशों के बावुजूद भी जानवर नही हासिल हो पा रहे हैं तो वह लोग भी अपनी रकम दूसरी जगह भेज कर कुर्बानी करा लें। अगर किसी वजह से दूसरी जगह कुर्बानी नही हो सकी तो एैसी सूरत में कुर्बानी के दिनों के बाद कुर्बानी की कीमत के बराबर रकम सद्का यानी गरीबों को देना वाजिब है.
- जो लोग अपनी कुर्बानी के साथ साथ हर साल नफली कुर्बानियॉ कराते थे वह मौजूदा महामारी (कोविड-19) से पैदा हालात को देखते हुए वह पैसा गरीबों को दे दें या मदरसों में दे दें।
- हमेशा की तरह उन्हीं जानवरों की कुर्बानी की जाए जिन पर कोई कानूनी पाबन्दी नही है.
- कुर्बानी करने वाला आदमी, नया मास्क, नए ग्लवज़ पहनकर अपने आलात को पूरी तरह सैनेटाइज करके कुर्बानी करें.
- कुर्बानी के स्थानों पर सैनेटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे आदेशों पर जरूर अमल किया जाए.
- उन जगहों पर सफाई सुत्थराई का खास एहतिमाम किया जाए.
- सड़क के किनारे, गली और पब्लिक स्थानों पर कुर्बानी न की जाए.
- जानवरों की गन्दगी रास्तों या पब्लिक स्थानों पर न फेंकें बल्कि नगर निगम के कोड़ेदानों ही का इस्तेमाल करें.
- कुर्बानी के जानवरों का खून नालियों में न बहायें। एैसा करना ना पसन्दीदा है और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। उसको कच्ची जमीन में दफन कर दें ताकि वह पौधों और पेड़ों की खाद बन सके.
- जानवर के गोश्त की तकसीम अच्छी तरह पैक करके की जाए.
- गोश्त का तिहाई हिस्सा गरीबों और जरूरत मन्दों को जरूर दिया जाए.
- कुर्बानी करते समय फोटो या वीडियो न बनाई जाए और न उसको सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाए.
- जानवर की खालें खुदा की राह में सद्का करें.
- नमाज़ के बाद कोविड-19 के जल्द खात्मे, पूरी दुनिया में अमन व अमान के कयाम, अपनी और मुल्क व कौम की तरक्की व खुशहाली इज्जत व सरबुलन्दी और भुकमरी के खात्मे के लिए दुआएं करें.
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