Waqf Amendment Bill: वक्फ संसोधन विधेयक पर गुरुवार को मीटिंग हुई. इस मीटिंग में कई मुस्लिम ग्रुप आए. इसमें पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. इन्होंने वक्फ विधेयक बिल पर अपनी सहमति जताई. इस पर इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स नाराज हो गया है.
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Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल पर पसमांदा समाज ने अपनी तरफ से रजामंदी दे दी है. इस पर इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स (IMCR) के चेयरमैन मोहम्मद अदीब ने तीखा रिएक्शन दिया है. उन्होंने पसमांदा समाज की सहमति पर सवाल उठाए और पसमांदा समाज की पहचान पर भी आपत्ति जताई. आईएमसीआर चेयरमैन मोहम्मद अदीब ने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा कि पसमांदा समाज है क्या. क्या वे वास्तव में मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग हैं या किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा?"
इस्लाम में नहीं पसमादा लफ्ज
मोहम्मद अदीब ने कहा कि भारत में जो लोग मांस का कारोबार करते हैं, वे किसी से कम अमीर नहीं हैं. "इस देश में केवल दो प्रकार के मुसलमान हैं: एक रईस और एक गरीब. पसमांदा का लफ्ज़ इस्लाम में कहीं नहीं है. पसमांदा समाज के सदस्यों की जानकारी पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग यह बताने में असमर्थ हैं कि वे किस बुनियाद पर इस बिल को अप्रूव कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि उन्हें केवल रटा-रटाया भेजा गया है. यह सभी एक साजिश का हिस्सा है, जो मुस्लिम समाज में विभाजन का प्रयास है. भारत में 70-75 सालों में कोई विभाजन नहीं हुआ है, और पसमांदा कौन हैं, यह कोई नहीं जानता. "यह सब एक बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा हैं, जिसका मकसद मुस्लिम समुदाय को बांटना है.
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क्या है पूरा मामला?
आपको बताते चलें, गुरुवार को मुस्लिम समाज की तरफ से वक्फ विधेयक पर अपना पक्ष रखने के लिए आए पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रतिनिधियों ने जेपीसी की बैठक में सरकार के बिल का पुरजोर शब्दों में समर्थन किया. उन्होंने इस बिल को 85 प्रतिशत मुसलमानों के लिए फायदेमंद करार देते हुए मुस्लिम समाज के दलितों और आदिवासियों को भी इसमें जगह देने की मांग की. बैठक में जब पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रतिनिधि बिल पर अपनी बात रख रहे थे, तो विपक्ष के कई सांसद उन्हें रोक रहे थे.