हिंदू हृदय सम्राट’ कहे जाने वाले कल्याण सिंह (Kalyan Singh) अयोध्या में बन रहे राम मंदिर (Ram Mandir) की बुनियाद के लिए राम हमवार करने वालों में सरे फहरिस्त माने जाते हैं.
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नई दिल्ली: 8 बार विधायक, तीन बार उत्तर प्रदेश के सीएम रहे भाजपा के दिग्गज नेता कल्याण सिंह (Kalyan Singh) आज इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं. कल्याण सिंह ने 89 बरस की उम्र में आखिरी सांस ली. अलीगढ़ के अतरौली में जन्मे कल्याण सिंह (Kalyan Singh) भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाते हैं. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के अलावा भी उन्हें कई बातों के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा.
राम मंदिर की बुनियाद के लिए रास्ता किया हमवार
‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहे जाने वाले कल्याण सिंह अयोध्या में बन रहे राम मंदिर (Ram Mandir) की बुनियाद के लिए राम हमवार करने वालों में सरे फहरिस्त माने जाते हैं. क्योंकि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद (Babari Masjid) गिरा दी गई थी. हालांकि कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद को बचाने का हलफनामा दिया था, लेकिन उन्होंने कारसेवकों पर गोली नहीं चलाने का आदेश भी दिया. आखिर कार बाबरी मस्जिद भी गिर गई और उत्तर प्रदेश से उनकी सरकार को को भी सत्ता से हटना पड़ा.
दलितों के पहले नेता बने कल्याण सिंह
ब्राह्मण-बनियों की पार्टी माने जाने वाली बीजेपी में पिछड़ों और दलितों के पहले नेता के तौर पर कल्याण सिंह को जाना जाता है. अलीगढ़ से गोरखपुर तक लोधी जाति की अच्छी-खासी आबादी थी. माना जाता था कि यादव और कुर्मी के बाद लोधी ही आते हैं. ऐसे में कल्याण सिंह को अपनी पर्सानिलिटी के साथ लोधी होने का भी फायदा मिल गया. इसके बाद कल्याण सिंह को कहा गया कि सक्रियता बढ़ाएं और पार्टी को जिताएं, जिसके बाद वह काम पर लग गए. 1962 में पहली बार उन्होंने अतरौली सीट से चुनाव लड़ा. हालांकि, उन्हें जीत हासिल नहीं हुई. उस समय वह महज 30 साल के थे.
अटल बिहारी वाजपेयी से करली थी अदावत
भाजपा की लंबी जिद्दोजहद के बाद उत्तर प्रदेश में 24 जून 1991 में पहली बार सरकार बनी. पहली बार भाजपा को एक ऐसा नेता मिला, जिसने ना सिर्फ सत्ता का स्वाद चखाया, बल्कि एक आत्मविश्वास भी दिया. लेकिन कहा जाता है कि उसमें खुद में इतना अति आत्मविश्वास हो गया कि देश के पीएम से अदावत कर ली. साल 1999 अटल और कल्याण के रिश्ते में कड़वाहट आ गई. कल्याण ने यहां तक कह दिया, ' मैं भी चाहता हूं कि वो पीएम बनें. लेकिन उन्हें पीएम बनने के लिए पहले एमपी बनना होगा'.
पार्टी से जाना पड़ा बाहर और फिर आए वापस
गौरतलब है कि इसके बाद कल्याण सिंह को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया. अटल लखनऊ से लड़े और जीते भी. वह देश के प्रधानमंत्री भी बने लेकिन कल्याण सिंह की राजनीतिक स्थिति खराब होती गई. अपनी पार्टी बनाई. सफलता नहीं मिली, तो साल 2007 में भाजपा में वापसी हुई. भाजपा ने उनके नेत्तृव में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गई.
मुलायम की मदद से पहुंचे लोकसभा
भाजपा की हार के बाद उन्होंने फिर पार्टी का दामन छोड़ दिया और मुलायम की मदद से लोकसभा पहुंच गए और 2010 में दूसरी पार्टी बनाई लेकिन कामयाबी नहीं मिली. जिसके बाद 2013 में एक बार फिर वापसी की. राजस्थान और हिमाचल के राज्यपाल भी बने. उनके दौर के नेता नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह इस वक्त प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री हैं. लेकिन कल्याण सिंह उस अदावत के बाद उभर नहीं पाए.
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