महाराष्ट्र में ठाकरे गुट के शिवसेना के हाथ आई निराशा, फिर भी CM शिंदे से मांगा इस्तीफा
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महाराष्ट्र में ठाकरे गुट के शिवसेना के हाथ आई निराशा, फिर भी CM शिंदे से मांगा इस्तीफा

Maha political row:  सुप्रीम कोर्ट महराष्ट्र के शिव सेना बनाम शिव सेना मामले को बड़ी संविधान पीठ को भेज दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे

नई दिल्लीः महाराष्ट्र में शिवसेना सरकार और पार्टी के दो गुटों में टूटने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा पिछले साल 30 जून को बहुमत साबित करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था, क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया था. वहीं, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना के व्हिप के रूप में नियुक्त करने का हाउस स्पीकर का फैसला “अवैध“ था.
हालांकि, कोर्ट के फैसले में यह कहा गया कि चूंकि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया था, इसलिए सदन में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के कहने पर शिंदे को सरकार बनाने के लिए बुलाना राज्यपाल के लिए सही कदम था. इसलिए यथास्थिति को बहाल नहीं किया जा सकता है 

मामला बड़ी संविधान पीठ को भेजा
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपने 2016 के फैसले को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया है. शीर्ष अदालत जून 2022 में तत्कालीन उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना के 16 विधायकों के दलबदल के मामले में अपना फैसला सुनाया है. ठाकरे गुट ने देश के दलबदल विरोधी कानून के तहत विधायकों की अयोग्यता की मांग की थी. नबाम रेबिया के फैसले में कहा गया था कि स्पीकर अयोग्यता नोटिस जारी नहीं कर सकते है,ं जब उन्हें हटाने की मांग करने वाला नोटिस लंबित हो. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पीकर अगर पाते हैं कि उन्हें हटाने का प्रस्ताव प्रक्रिया के मुताबिक नहीं है, तो वह विधायकों की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाओं पर आगे बढ़ सकते हैं. 

लगभग नौ दिनों तक चली सुनवाई में उद्धव खेमे के लिए कपिल सिब्बल और एएम सिंघवी और शिंदे खेमे के लिए हरीश साल्वे, एनके कौल और महेश जेठमलानी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने गवाह और दलीलें पेश कीं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र के राज्यपाल का प्रतिनिधित्व किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से बहस करते हुए अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया कि प्रतिद्वंद्वी विधायकों ने तत्कालीन सरकार के साथ बने रहने की अपनी अनिच्छा के बारे में राज्यपाल को लिखा था और राज्यपाल ने ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए आमंत्रित किया था.

सीएम शिंदे को इस्तीफा देना चाहिएः शिवसेना (यूबीटी)
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है और उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए. सेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए एक ट्रेंडसेटर बताया है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के मुद्दे पर कि अगर तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता, तो उन्हें बहाल किया जा सकता था, पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा कि यह इंगित करता है कि वर्तमान सरकार अवैध है. 

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