Mallikarjun Kharge: पहलवान विनेश फोगाट को ओलंपिक से वजन ज्यादा होने की वजह से बाहर कर दिया गया. ऐसे में विपक्ष ने मांग की राज्यसभा में इस मुद्दे पर बोलने की इजाजत दी जाए. लेकिन उन्हें इजाजत नहीं दी गई. ऐसे में विपक्ष ने राज्यसभा से वाकआउट किया.
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Mallikarjun Kharge: राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने महिला पहलवान विनेश फोगाट के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए और इस मुद्दे पर बोलने की इजाजत नहीं मिलने पर सदन से वाक आउट किया. महिलाओं की 50 किलोग्राम कुश्ती स्पर्धा के फाइनल से पहले वजन अधिक पाए जाने के की वजह से विनेश को ओलम्पिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे सहित विपक्षी सदस्यों के आचरण की आलोचना की और उन पर आसन के अधिकार को "चुनौती" देने तथा "अपने संवैधानिक कर्तव्य से दूर होने" का इल्जाम लगाया.
विपक्ष ने लगाया नारा
विनियोग (संख्या दो) विधेयक 2024 और जम्मू-कश्मीर विनियोग (संख्या तीन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्य फोगाट के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाने लगे. लेकिन धनखड़ ने उन्हें अपनी बात रखने की इजाजत नहीं दी. खरगे ने कहा कि वह एक मुद्दे पर सभापति की इजाजत से बोलना चाहते हैं, लेकिन धनखड़ ने इजाजत देने से इनकार कर दिया और कहा कि बहस जारी रहेगी. सभापति ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष बिना किसी नियम का सहारा लिए हस्तक्षेप करना चाहते थे. विपक्षी सदस्यों के सदन से बाहर चले जाने के बाद धनखड़ ने कहा कि उनका काम "अशोभनीय और आसन के अधिकार को चुनौती देने वाला" था
विपक्ष के आचरण पर जताया दुख
धनखड़ ने कहा, "नेता प्रतिपक्ष का, संसदीय लोकतंत्र में एक अहम आधार... बहुत दुखद... इस तरह के आचरण पर आपत्ति जताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं." उन्होंने कहा कि सदन में जिस तरह की नारेबाजी देखी गई, वह सबसे खराब स्थिति में भी नहीं होती है. धनखड़ ने कहा कि उन्होंने विपक्ष के नेता को एक कोरा कागज भेजा था, ताकि वह अपना विषय बता सकें, जिस पर वह बोलना चाहते थे. उन्होंने कहा, "श्री प्रमोद तिवारी नेता प्रतिपक्ष के बगल में बैठे हैं और मुख्य विपक्षी दल के उपनेता हैं. उन लोगों ने इस देश पर काफी समय तक शासन किया है और उन्हें प्रक्रिया और आचरण के नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए."
धनखड़ ने पढ़ा नोट
धनखड़ ने नोट पढ़ा, जिसमें देशवासियों को प्रभावित करने वाले एक आकस्मिक मुद्दे को उठाने और थोड़े समय के लिए हस्तक्षेप करने के विपक्ष के नेता के अनुरोध का उल्लेख किया गया था. सभापति ने कहा, "कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है. इस तरह का दृष्टिकोण केवल राजनीतिक लाभ के लिए मंच का उपयोग करना है. यह संवाद, बहस और चर्चा का एक बहुत ही अहम मंच है. हर बार आसन को चुनौती देने की उभरती प्रवृत्ति पर मुझे आपत्ति है.’’ धनखड़ ने कहा कि संविधान के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी दिखाने के लिए राज्यसभा भेजे गए सांसदों के आचरण से देश के लोग स्तब्ध रह जाएंगे.