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देवबंद/ सैयद उवैस अली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद की आज हुई मीटिंग में एक बार फिर मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) को संगठन का अध्यक्ष चुन लिया गया है. यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है. मंगलवार को मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुसलमानों के शैक्षिक पिछड़ेपन पर के अलावा कई अन्यों मुद्दों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई.
सर्वसम्मिती से लिया गया फैसला
बैठक में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अगले कार्यकाल की अध्यक्षता के लिए राज्य इकाई की कार्य समिति की सिफारिशों की समीक्षा भी की गई. इस सभा में सभी राज्य इकाइयों ने सर्वसम्मति से मौलाना अरशद मदनी के नाम की सिफारिश की. अतः कार्य समिति ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अगले कार्यकाल की अध्यक्षता के लिए मौलाना अरशद मदनी के नाम की घोषणा की.
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बड़ी तादाद में लोग जमीयत में शामिल हो रहे हैं
नियमों के अनुसार जमीयत उलेमा-ए-हिंद की हर दो साल में सदस्यता होती है. लॉकडाउन में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से नागरिकों की गई निःस्वार्थ सेवा, दिल्ली दंगा पीड़ितों और अभियुक्तों को कानूनी और सामाजिक सहायता, तब्लीगी जमात पर नकारात्मक प्रोपेगंडा करने वालों के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद के क़ानूनी संघर्ष आदि की वजह से अतीत में जमीयत की तरफ नए लोगों का आकर्षण बढ़ा है.
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पिछले साल 1 करोड़ 15 लाख थी जमीयत के सदस्यों की तादाद
काबिले जिक्र है कि पिछले कार्यकाल में जमीयत के सदस्यों की तादाद लगभग 1 करोड़ 15 लाख थी जबकि इस साल इस संख्या में वृद्धि की प्रबल संभावना है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्य समिति ने आज से 31 जुलाई तक इस पद की सदस्यता की घोषणा की है. जमीयत पहले दिन से शिक्षा के प्रचार प्रसार पर ध्यान केंद्रित कर रही है. जिसमें स्कूलों और मदरसों की स्थापना के साथ-साथ आधुनिक और तकनीकी शिक्षा लेने वाले गरीब और जरूरतमंद छात्रों को लगातार छात्रवृत्ति देने का काम शामिल है और इसके अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं. इस प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, इस वर्ष 50 लाख रुपये से बढ़ा कर 1 करोड़ की राशि छात्रवृति के लिए आवंटित की गई थी. जिसके लिए देश भर से लगभग 600 छात्रों का चयन किया गया है, जिनमें से अब तक लगभग 500 छात्रों को छात्रवृति दी जा चुकी है और उन्हें छात्रवृति जारी कर दी गई है. जबकि यह सिलसिला अभी भी जारी है
"हथियार या जंग से नहीं किया जा सकता मुकाबला"
बैठक को संबोधित करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने देश में जिस तरह धार्मिक उन्माद और विचारधारा का विद्वेष फैल चुका है उस का मुक़ाबला किसी हथियार या जंग से नहीं किया जा सकता. इसके साथ मुक़ाबले का एक मात्र रास्ता यह है की हम अपनी नई नस्ल को उच्च शिक्षा दिला कर इस क़ाबिल बना दें कि वह अपनी शिक्षा और हुनर के हथियार से इस विचारधारा की लड़ाई में अपने प्रतिद्वंदी को परास्त कर सके और वह कामयाबी की मंज़िल को हासिल कर सके.
वर्किंग कमेटी ने जिला स्तर पर राज्यों, जिलों और स्थानीय यूनिटों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि वह जमीयत उलेमा ए हिंद के बुनियादी कार्यक्रमों खासकर सामजिक कार्यों के प्रोग्रामों को आंदोलन की तरह चलाएं ताकि समाज में फैली बुराइयों को समाप्त किया जा सके. बैठक में जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलान सय्यद अरशद मदनी के अलावा मुफ़्ती सय्यद मासूम साकिब नाज़िम उमूमी जमीयत उलेमा ए हिन्द, मौलाना हबीबुर्रहमान क़ासमी, मौलाना सय्यद असजद मदनी, मौलाना अशहद रशीदी, मौलाना मुश्ताक़ अंफ़र, मुफ़्ती गयासुद्दीन, मौलाना अब्दुल्लाह नासिर, हाजी हसन अहमद क़ादरी, हाजी सलामतुल्लाह आदि उपस्थित थे.
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