Poetry on Aashiyana: आशियाने यानी घर को कई शायरों ने अपनी शायरी का मौजूं बनाया है. कोई अपने घर को आशियाना कहता है तो कोई कोई आशिक या माशूक के पास रहने को अपना आशियाना मान लेता है. पेश हैं आशियाने पर बेहतरीन शेर.
Trending Photos
Poetry on Aashiyana: 'आशियाना' यानी घर. घर मतलब सुकून. कहा जाता है कि आप चाहे पूरी दुनिया घूम लें लेकिन आपको सबसे ज्यादा सुकून अपने घर (आशियाने) में मिलेगा. बड़ों का कहना है कि इंसान की तीन सबसे बड़ी जरूरतें होती हैं. रोटी, कपड़ा और मकान (आशियाना). अगर इंसान के पास ये तीनों चीज नहीं है तो वह इसके लिए जद्दोजहद करता है. जिसके पास मकान नहीं है वह अपनी बाकी जरूरतों को कम करके पहले मकान (आशियाना) बनाने की कोशिश करता है. आज हम आपके सामने घर यानी 'आशियाने' पर कुछ चुनिंदा शेर पेश कर रहे हैं.
मिटाने वाले हमारा ही घर मिटाना था
चमन में एक से एक अच्छा आशियाना था
-मंज़र लखनवी
---
गिराए जाने लगे हैं दरख़्त हर जानिब
कि मैं ने शाख़ पे इक आशियाना चाहा है
-याक़ूब तसव्वुर
---
क़ैद में इतना ज़माना हो गया
अब क़फ़स भी आशियाना हो गया
-हफ़ीज़ जौनपुरी
---
गुल बाँग थी गुलों की हमारा तराना था
अपना भी इस चमन में कभी आशियाना था
-हातिम अली मेहर
---
यह भी पढ़ें: Poetry on Complete: 'हो जाएंगे जिस रोज़ सभी काम मुकम्मल', पढ़ें मुकम्मल शब्द पर शेर
इतना भी बार-ए-ख़ातिर-ए-गुलशन न हो कोई
टूटी वो शाख़ जिस पे मिरा आशियाना था
-अज़ीज़ लखनवी
---
हो बिजलियों का मुझ से जहाँ पर मुक़ाबला
या-रब वहीं चमन में मुझे आशियाना दे
-आजिज़ मातवी
---
मियाँ ये शाख़-ए-मोहब्बत तुम्हारे सामने है
बनाओ उस पे अगर आशियाना बनता है
-एजाज तवक्कल
---
जहाँ पे सिर्फ़ वो थी और मैं था और ख़ुश्बू थी
उसी झुरमट को अपना आशियाना करने वाला हूँ
-आयुष चराग़
---
तड़प रहा है बहुत दिन से ज़ौक़-ए-बर्बादी
फिर आशियाना बनाता हूँ एहतिमाम के साथ
-सईद शहीदी
---
बिजली गिरी तो मुझ पे गिरी कैसे हम-नशीं
इक साथ ही तो तेरा मिरा आशियाना था
-मोहम्मद जावेद इशाअती
---
बना के अब मुझे ईंधन जलाए जाता है
यही थी शाख़ कभी जिस पे आशियाना था
-आर पी शोख़
इसी तरह की और खबरों को पढ़ने के लिए Zeesalaam.in पर विजिट करें.