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पुरानी रिवायतों को पीछे छोड़ डॉ. शाहीन जाफरी ने कायम की बड़ी मिसाल

जानकारी के मुताबिक डॉ शाहीन स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से ताल्लुक रखती हैं और यही वजह है कि उनके अंदर कुछ कर दिखाने जज्बा है.

पुरानी रिवायतों को पीछे छोड़ डॉ. शाहीन जाफरी ने कायम की बड़ी मिसाल

प्रयागराज: प्रयागराज की डॉ. शाहीन जाफरी ने पुरानी रिवायतों को ताक में रखकर एक नया मकाम हासिल किया है. दरअसल उन्हें संस्कृत से बहुत ज्यादा शौक था. इस शौक को मुकम्मल करने के लिए उनके परिवार ने भी पूरा साथ दिया. जिसकी बदौलत आज शाहीन जाफरी शिब्ली पीजी कॉलेज में हेड ऑफ डिपार्टमेंट बनकर 30 साल से संस्कृत डिपार्टमेंट में बच्चों को संस्कृत की तालीम देती आ रही हैं. 

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जानकारी के मुताबिक डॉ शाहीन स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से ताल्लुक रखती हैं और यही वजह है कि उनके अंदर कुछ कर दिखाने जज्बा है. डॉ. शाहीन को ज्यादा पढ़ाई करने और घर से बाहर निकलने की आज़ादी भी नहीं थी. इसकी वजह थी कि उनके पति मिस्बाहुद्दीन जाफरी और परिवार के अन्य लोग पुरानी रिवायतों के साथ बंधे हुए थे. लेकिन उनके पिता शाहीन की लगन को देखते हुए अपने आपको बदला और शहीन को मना नहीं कर पाए. फिर क्या था शाहीन ने संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ रिसर्च भी की और आज एक कॉलेज में बाकी बच्चों को सबक दे रही हैं.

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डॉ. शाहीन जाफरी ने संस्कृत की फील्ड में कई ऊंचाइयों को हासिल किया. संस्कृत भाषा के लिए शाहीन का प्यार ऐसा है कि उन्हें फोन करो तो हेलो में नहीं, बल्कि गायत्री मंत्र में जवाब देती हैं. 

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बताया जाता है कि जब शाहीन 11वीं जमात में पढ़ती थीं तब मिस पूर्णिमा चतुर्वेदी ने उन्हें संस्कृत विदुषि का किताब दे कर सम्मानित किया था. फर्स्ट डिविजन में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने प्रयागराज यूनिवर्सिटी के एचओडी स्व. प्रो. सुरेश चंद्र श्रीवास्तव की गाइडेंस में योग दर्शन पर संस्कृत से रिसर्च करने का मन बनाया तो उनका साहस देख उनके घरवालों को भी राजी होना पड़ा.

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उस दौरान डॉ. शाहीन के निकाह का भी फैसला लिया गया. उनका निकाह सुल्तानपुर के प्रोफेसर मु. शरीफ से हुआ. प्रो. शरीक भी प्रयागराज यूनिवर्सिटी से संस्कृत से रिसर्च कर रहे थे और उस समय वह दुनिया के पहले मुस्लिम थे, जिन्हें इसमें डीलिट की उपाधि मिली थी. मौजूदा समय में वह अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में संस्कृत के HOD हैं.

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