PFI Ban: सरकार के पीएफआई बैन के फैसले को लेकर कई इस्लामिक देशों की मीडिया की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने सरकार के इस फैसले को भेदभाव से जोड़ते हुए पेश किया है. चलिए जानते हैं किसने क्या कहा?
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PFI Ban: पीएफआई को सरकार ने बैन कर दिया है. इस बैन को लेकर सरकार का कहना था कि संगठन कई ऐसे गतिविधियों में शामिल था जो गैरकानूनी हैं और देश के संविधान के खिलाफ हैं. इस फैसले की कई लोगों ने जमकर तारीफ की तो कई लोग इसकी मुखालिफत में भी नजर आए. पीएफआई पर लगे इस बैन को लेकर अलग-अलग देशों की प्रक्रियाएं सामने आ रही हैं. तो चलिए जानते हैं कि मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर किसने क्या कहा?
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने कहा कि मोदी सरकार पर मुसलमानों के साथ भेदभावों के आरोप लगते आए हैं. लेकिन सरकार इसे हमेशा खारिज करती आई. पीएफआई सरकार के खिलाफ भेदभाव वाले प्रदर्शन को सपोर्ट करता है. मिसाल के तौर पर सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शन और 2022 कर्नाटक में हिजाब की सपोर्ट में मुस्लिम महिलाओं के प्रदर्शन
जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के ट्रिब्यून अखबार ने कहा कि पीएफआई के एंटी नेशनल होने का सिर्फ इतना मतलब है कि वह बीजेपी और पीएम मोदी की खिलाफ नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करता है. अखबार आगे लिखता है पीएफआई के मेंबर्स के खिलाफ चार्जशीट में लिखा गया है कि उन्होंने इंटरनेट का गलत इस्तेमाल किया है और सरकारी नीतियों के खिलाफ लोगों को भड़काया है.
अल जजीरा ने लिखा की बीजेपी हमेशा मुसलमानों के साथ भेदभावों को खारिज करती आई है. लेकिन आलोचकों का ऐसा मानना है कि 2019 के बाद जांच एजेंसियों और गृह मंत्रालय को यह अधिकार मिला है कि वह किसी को भी उठा कर उसे आतंकवादी घोषित कर सकते हैं. अल जजीरा ने आगे लिखा कि पीएफआई पर बैन भी यूपीए के तहत लगाया गया है.
The Indian gov't this week declared the Popular Front of India (PFI) an unlawful association, banning the Muslim group and its associates for five years https://t.co/oqqtEy0C0v
— Al Jazeera English (@AJEnglish) September 29, 2022
इस बैन को लेकर अरब न्यूज का कहना है कि काफी वक्त से कई हिदू कट्टर गुट पीएफआई पर बैन लगाने की मांग कर रहे थे. पिछले कुछ वक्त से इन मागों में में बढ़ोतरी हुई थी. हालही में पीएफआई पर हिजाब प्रोटेस्ट के दौरान हिंसा कराने के आरोप लगे थे. 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से ही उन पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव के आरोप लगते आए हैं.
— حسن سجواني (@HSajwanization) September 28, 2022