मरीज को निवास प्रमाण पत्र के आधार पर अस्पताल में भर्ती से इनकार नहीं किया जा सकता: SC
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मरीज को निवास प्रमाण पत्र के आधार पर अस्पताल में भर्ती से इनकार नहीं किया जा सकता: SC

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर रविवार को अपलोड किए गए फैसले की कॉपी के मुताबिक, "केंद्र और राज्य सरकार सभी मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और पुलिस कमिश्नरों को अधिसूचित करे

फाइल फोटो

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हिदायत दी है कि वह दो हफ्ते के अंदर कोरोना महामारी की लहर के मद्देनजर अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने की राष्ट्रीय नीति बनाए. साथ ही अदालत ने कहा कि किसी भी मरीज को लोकल निवास प्रमाण पत्र नहीं होने की बुनियाद पर कोई भी राज्य अस्पताल में भर्ती करने या जरूरी दवा मुहैया कराने से इनकार नहीं कर सकता है.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति रविंद्र भट की तीन सदस्यीय बेंच ने केंद्र और राज्यों को यह भी हिदायत दी है कि वह नोटिफिकेशन जारी करे कि सोशल मीडिया पर सूचना रोकने या किसी भी मंच पर मदद मांग रहे लोगों का उत्पीड़न करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर रविवार को अपलोड किए गए फैसले की कॉपी के मुताबिक, "केंद्र और राज्य सरकार सभी मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और पुलिस कमिश्नरों को अधिसूचित करे कि सोशल मीडिया पर किसी भी सूचना को रोकने या किसी भी मंच पर मदद की मांग कर रहे लोगों का उत्पीड़न करने पर यह अदालत अपने न्यायाधिकार के तहत दंडात्मक कार्रवाई करेगी." बेंच ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को भी हिदायत दी कि वह इस फैसले की कॉपी देश के सभी जिलाधिकारियों को भेजे.

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