Uttarakhand UCC Bill: उत्तराखंड असेंबली में यूसीसी पेश किया गया है. जिसका विरोध कई मुस्लिम संगठन कर रहे हैं. कई नेताओं ने भी इसका विरोध किया है. पढ़ें पूरी खबर
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Uttarakhand UCC Bill: आज उत्तराखंड असेंबली में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश किया गया है. इस बिल का काफी लोग विरोध कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसकी हिमायत में दिखाई दे रहे हैं. कई मुस्लिम तंजीमें इस बिल का विरोध करती नजर आ रही हैं, वहीं कई मुस्लिम ने इसका विरोध किया है. समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा कि समान नागरिक संहिता मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है.
पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में एसटी हसन ने कहा,"अगर यह कुरान में मुसलमानों को दी गई 'हिदायत' (निर्देश) के खिलाफ है तो हम इसका (यूसीसी विधेयक) पालन नहीं करेंगे. अगर यह 'हिदायत' के अनुसार है तो हमें कोई समस्या नहीं है."
उधर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर मौलाना खालिद राशीद फिरंगी महली का कहना है कि कुछ कम्यूनिटीज को इसमें छूट दी जाएगी. उन्होंने कहा,"क्या यह (यूसीसी) आने पर सभी कानूनों में यूनिफॉर्मिटी होगी? नहीं, बिल्कुल भी यूनिफॉर्मिटी नहीं होगी. जब आपने कुछ समुदायों को इससे छूट दी है तो एकरूपता कैसे हो सकती है? हमारी कानूनी समिति अध्ययन करेगी, 'मसौदा तैयार किया जाएगा और उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा.''
बता दें, बीजेपी ने 2022 चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में यूसीसी लाने ककी बात कही थी. अगर यह बिल पास हो जाता है तो धर्मों के कई पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे. जैसे शादी, तलाक और जायदाद में बंटवारा आदि. बिल को लेकर कांग्रेस ने आज कहा कि वह यूसीसी के खिलाफ नहीं है बल्कि जिस तरीके से इसे पेश किया जा रहा है उसके खिलाफ है.
एलओपी यशपाल आर्य ने कहा, "हम इसके (समान नागरिक संहिता) खिलाफ नहीं हैं. सदन कार्य संचालन के नियमों से चलता है लेकिन, भाजपा लगातार इसकी अनदेखी कर रही है और तादाद के आधार पर विधायकों की आवाज को दबाना चाहती है. यह विधायकों का अधिकार है कि वह प्रश्नकाल के दौरान सदन में अपने विचार व्यक्त करें." उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री विधेयक पारित करने की उत्सुकता में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.