दक्षिण 24 परगना दक्षिण बंगाल का ही हिस्सा है. ऐसे में टीएमसी को इस क्षेत्र में लगातार कुल वोटों का एक बड़ा हिस्सा मिलता रहा है.इसलिए बीजेपी ने दीदी के इस अभेद्य दुर्ग को भेदने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है
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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (TMC) छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले शुभेंदू अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर जमकर हमला बोला. दक्षिण 24 परगना जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंन कहा कि, दक्षिण 24 परगना की सभी 31 सीटों पर भाजपा की जीत होगी. बता दें कि नार्थ बंगाल की तुलना में साउथ बंगाल को ममता के नेतृत्व वाली टीएमसी का गढ़ माना जाता है. दक्षिण 24 परगना दक्षिण बंगाल का ही हिस्सा है. ऐसे में टीएमसी को इस क्षेत्र में लगातार कुल वोटों का एक बड़ा हिस्सा मिलता रहा है.इसलिए बीजेपी ने दीदी के इस अभेद्य दुर्ग को भेदने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है. जिसमें शुभेंदू अधिकारी भाजपा के लिए अहम साबित हो सकते हैं.
टीएमसी भाजपा के खिलाफ बंगाली और बाहरी का मुद्दा उठा रही है. इस पर जनसभा के दौरान शुभेंदू अधिकारी ने टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा कि, "बंगाली और गैर बंगाली मुद्दा उठा कर जो प्रादेशिकता की नफरत फैलायी जा रही है. वह सांप्रदायिकता से भी अधिक भयावह है. बंगाल के जो लोग दूसरे राज्यों में काम करने गये हैं अगर उन्हें ये प्रादेशिकता झेलनी पड़े, तो उन पर क्या बीतेगी. सच्चा भारतीय कभी बंगाली या गैर बंगाली की बात नहीं कर सकता".
टीएमसी का गढ़ है दक्षिण 24 परगना
बता दें कि, घनी आबादी वाले दक्षिण 24 परगना जिले को टीएमसी के गढ़ के रूप में जाना जाता है. 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने जिले की 31 में से 29 सीटें जीतकर क्लीन स्वीप किया था. इस जीत में शुभेंदू अधिकारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. भाजपा का दामन थामने के बाद अब पार्टी को उम्मीद है कि 2021 विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में प्रदर्शन अच्छा होगा.
बंगाल में सियासी हत्याएं
बंगाल की राजनीति बरसों से हिंसा के आरोपों से कलंकित रही है, हालांकि इसके किरदार बदल गए हैं. दक्षिण 24 परगना भी चुनावी हिंसा से ग्रस्त रहा है. इसकी शुरूआत वाम दलों और कांग्रेस के साथ हुई, फिर वाम दल और तृणमूल कांग्रेस, और अब ये बीजेपी बनाम तृणमूल कांग्रेस हो गई है. खूनी हिंसा की कुछ कहानियां दशकों बाद भी, अभी तक ख़त्म नहीं हुई हैं, जिनमें 1970 की सैनबाड़ी हत्याएं शामिल हैं, जब सीपीआई(एम) के सदस्यों ने कांग्रेस का समर्थन करने वाले एक परिवार पर कथित रूप से हमला करके उसके दो सदस्यों को मार डाला था.