बंगाल चुनाव का केंद्र बना नंदीग्राम: दीदी के सामने शुभेंदु अधिकारी, जानिए क्यों खास है यह सीट
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बंगाल चुनाव का केंद्र बना नंदीग्राम: दीदी के सामने शुभेंदु अधिकारी, जानिए क्यों खास है यह सीट

सीएम बनर्जी के इस ऐलान के अगले ही दिन शुभेंदु अधिकारी ने भी बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल की सीएम 50 हजार वोटों से हारेंगी या वे राजनीति छोड़ देंगे.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर खबरों का बाजार गर्म है. शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 291 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी. वहीं आज BJP ने भी 57 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. टीएमसी की लिस्ट के मुताबिक राज्य की मौजूदा चीफ मिनिस्टर मनता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी. वहीं भाजपा ने भी इस सीट से शुभेंदु अधिकारी के नाम का ऐलान किया है. 

पहले ही ऐलान कर चुकी हैं ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने 18 जनवरी को नंदीग्राम में रैली की थी. इस दौरान उन्होंने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था 'क्या होगा अगर मैं नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ूं यह कैसा रहेगा..', नंदीग्राम मेरे दिल के करीब है. मैं अपना नाम भूल सकती हूं लेकिन नंदीग्राम को नहीं भूल सकती. आज मैं ऐलान कर रही हूं कि मैं नंदीग्राम से लड़ना चाहती हूं.'

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सीएम बनर्जी के इस ऐलान के अगले ही दिन शुभेंदु अधिकारी ने भी बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल की सीएम 50 हजार वोटों से हारेंगी या वे राजनीति छोड़ देंगे. नंदीग्राम सीट पर अधिकारी परिवार का खासा प्रभाव है. शुभेंदु ममता सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री रह चुके हैं.

2016 में शुभेंदु अधिकारी ने बनाई जमीन
बता दें कि साल 2016 के चुनावों में शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी के लिए नंदीग्राम में जमीन तैयार की थी लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल उलट है. शुभेंदु अधिकारी टीएमसी को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के बहुत खास नेताओं में शुमार किए जाते थे, ऐसे में उनका भाजपा में चले जाना टीएमसी को बड़ा झटका था और शायद इसी गुस्से के चलते ममता बनर्जी ने खुद नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. 

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70 फीसद हिंदू और 30 फीसद मुसलमान
नंदीग्राम सीट के तहत 70 फीसद हिंदू और 30 फीसद मुस्लिम वोट आते हैं. कुल वोटर की बात करें तो यहां 2,13,000 वोटर में 1 लाख 51 हजार हिंदू वोटर हैं और 62 हजार मुस्लिम वोटर हैं. साल 2016 में टीएमसी की तरफ से लड़ते हुए शुभेंदू ने चुनाव जीते था और भारी वोटों से जीत हासिल की थी. हालांकि इस बार ये लड़ाई शुवेंदु बनाम ममता की होगी. ऐसे में इस सीट पश्चिम बंगाल चुनावों में हॉट सीट माना जा रहा है. 

शुभेंदु अधिकारी ने अपने सियासी कैरियर 
शुभेंदु अधिकारी ने अपने सियासी कैरियर का आगाज़ कांग्रेस पार्टी से किया था. उन्हें महज़ 25 साल की उम्र में पार्षद के चुनावों में कामयाबी मिली. लेकिन साल 1988 में तृणमूल कांग्रेस का गठन हुआ था शुभेंदु के पिता शिशर अधिकारी भी इस पार्टी के साथ जुड़ गए. शुभेंदु ने साल 2001 में विधानसभा और 2004 में तामलुक लोकसभा सीट से शिकस्त का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक दिन अपने पिता शिशिर की सीट ओल्ड कांथी विधानसभा से जीतकर विधानसभा पहुंचे. शुभेंदु का यह सफर महज तीन साल का था. उसके बाद वे तामलुक लोकसभा सीट से भी जीते और सांसद बने.

तामलुक लोकसभा सीट के बाद साल 2016 में उन्हें पार्टी ने मेदिनीपुर जिले की नंदीग्राम सीट से चुनाव में उतारा. यहां उन्होंने सीपीआई के अब्दुल कबी को बड़ी शिकस्त दी. दोनों उम्मीदवारों के वोटों में करीब 40.3 फीसदी का था.

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