What is Hajj? इस्लाम की बुनियाद 5 चीजों पर टिकी है. हज उनमें से एक है. जो भी शख्स सेहतमंद है और आर्थिक रूप से समर्थ है उसे जिंदगी में एक बार हज जाना चाहिए.
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What is Hajj? हर साल लाखों की संख्या की में मुसलमान सऊदी अरब के मक्का शहर में हज करने पहुंचते हैं. भारत से भी बड़ी तादाद में मुस्लिम हज के लिए जाते हैं. कई बार हज के लिए सऊदी अरब पहुंचने वाले लोगों की तादाद 20 लाख तक हो जाती है. आइए जानते हैं कि हज क्या है और यह कैसे होता है.
इस्लाम का सुतून है हज
इस्लाम की बुनियाद 5 चीजों पर टिकी है. इसमें तौहीद (खुदा को एक मानना), रोजा, नमाज, जकात और हज शामिल है. मान्यता है कि जो शख्स शरीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हो उसे जिंदगी में कम से कम एक बार हज करना चाहिए. इल्लाम धर्म में ये मान्यता है कि पैगंबर इब्राहीम को अल्लाह ने तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने के लिए कहा था.
अल्लाह ने पैगंबर को दिया हुक्म
इसके बाद इब्राहीम और उनके बेटे इस्माईल ने मिलकर एक छोटी सी इमारत बनाई थी. इसी का नाम काबा रखा गया. इसके बाद लोगों ने यहां अलग-अलग ईश्वर की पूजा की. इस्लाम धर्म में ये भी मान्यता है कि इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद (स0) को अल्लाह ने हुक्म दिया कि वह काबा पहले जैसी हालत में लेकर आएं और वहां पर सिर्फ अल्लाह की इबातद करें.
प्रोफेट ने किया सफर
साल 628 ई0 में प्रोफेट मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक सफर शुरू किया. इस दौरान पैगंबर मोहम्मद ने पैगंबर इब्राहीम की परंपराओं को फिर से स्थापित किया. इसी प्रक्रिया को हज कहा जाता है.
पांच दिन में पूरा होता है हज
हर साल दुनियाभर से कई मुस्लिम सऊद अरब के मक्का शहर में हज के लिए पहुंचते हैं. हज की प्रक्रिया को पूरा करने में पांच दिन लगते हैं. ये अमल बकरीद के साथ पूरा होता है.
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हर देश के लिए अलग कोटा
सऊदी अरब हर देश के लिए अलग-अलग कोटा तय करता है. इसी हिसाब से हर देश से लोग यहां जाते हैं. सऊदी ने इंडोनेशिया का कोटा सबसे ज्यादा रखा है. सऊदी अरब में हज के लिए पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नाइजीरिया और कई देशों से हज के लिए पहुंचते हैं.
क्या करते हैं हज यात्री
हज यात्री पहले जेद्दा शहर जाते हैं. इसके बाद वह मक्का जाते हैं. यहीं से हज का अधिकारिक प्रोसेस शुरू होता है. इस जगह को मीकात कहते हैं.
अहराम
हज यात्रा पर जाने लगभग सभी यात्री एहराम पहनते हैं. यह सफेद कपड़ा होता है. यह सिला हुआ नहीं होता है. औरतें एहराम नहीं पहनती हैं. वह पारंपरिक सफेद कपड़े पहन कर ही हज के लिए जाती हैं.
उमरा
हज पर जाने वाले ज्यादातर लोग उमरा करते हैं. यह एक धार्मिक प्रक्रिया है. हज खास महीने में किया जाता है लेकिन उमरा साल में कभी भी किया जा सकता है. जो लोग हज पर जाते हैं वह आमतौर पर उमरा करते हैं. हांलांकि यह जरूरी नहीं है.
मीना शहर
हज हर साल अरबी महीना जिल-हिज की आठ तारीख से शुरू होता है. इसी दिन हाजी मक्का से तकरीबन 12 किलोमीटर दूर मीना शहर जाते हैं. आठ तारीख की रात को हाजी मीना में गुजारते हैं. इसके बाद 9 तारीख को अराफात में पहुंचते हैं. यहां हाजी अल्लाह को याद करते हैं. दुआएं मांगते हैं. इसी दिन हाजी मुजदलफा शहर जाते हैं. वह यहां रात गुजारते हैं. 10 तारीख की सुबह फिर हाजी मीना शहर लौटते हैं.
जमारात
हाजी खास जगह पर जाकर सांकेतिक तौर पर शैतान को पत्थर मारते हैं. इसे जमारात कहा जाता है. इसके बाद हाजी एक बकरे या भेड़ की कुर्बानी देते हैं. इसके बाद मर्द अपना सिर मुंडवाते हैं और महिलाएं अपने थोड़े बाल कटवाती हैं.
ईद-उल-अजहा
इसके बाद हाजी मक्का वापस लौटते हैं. यहां वह काबे सात चक्कर लगाते हैं. इसे तवाफ कहा जाता है. इसी दिन यानी 10 जिल हिज को दुनियाभर के तमाम मुसलमान ईद उल अजहा या बकरीद का त्योहार मनाते हैं.
तवाफ के बाद हाजीमीना लौटते हैं और यहां दो दिन गुजारते हैं. 12 तारीख को आखिरी बार हज यात्री काबा का दोबारा तवाफ करते हैं. इस तरह हज पूरा होता है.
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