Blasphemy in Pakistan: पाकिस्तान में कराची हवाई अड्डे पर एक ईसाई महिला अल्पसंख्यक सुरक्षा अधिकारी से बहस के बाद अन्य कर्मचारी ने उसके खिलाफ ईशनिंदा का आरोप लगाने की धमकी दी थी. इसका वीडियो वायरल होने के बाद दाव उलटा पड़ गया है और आरोपी शख्स को नौकरी से निलंबित कर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
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कराचीः पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने अपने एक कर्मचारी को नौकरी से मुअत्तल कर दिया है, जिसने कराची के जिन्ना इंटरनेशनल में एक पार्किंग विवाद के दौरान एक महिला ईसाई सुरक्षा अधिकारी को कथित रूप से ईशनिंदा का मामला दर्ज कराने की धमकी दी थी. हवाई अड्डे के कार्गो क्षेत्र, और इस मामले की जांच के लिए एक समिति का भी गठन किया गया हे. यह घटना कराची हवाई अड्डे पर शनिवार को हुई थी.
सिक्यूरिटी पास को लेकर हुआ था विवाद
घटना के वीडियो फुटेज के मुताबिक, महिला सिक्यूरिटी अफसर द्वारा एक शख्स को बिना वाहन पास के अंदर वाहन लाने के लिए फटकार लगाने पर विवाद शुरू हुआ था. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह शख्स महिला अफसर को धमकी दे रहा है कि वह उसके खिलाफ ईशनिंदा का मामला दर्ज करवा सकता है. वीडियो में वह शख्स साफ यह कहता हुआ दिखाई दे रहा है कि किसी को भी बुलाओ, मैं तुम्हे टुकड़ों में काट दूंगा... यहां से चले जाओ...’’
مسيحى خاتون كو توهين ناموس رسالت كا غلط مقدمه درج كروانے كى دهمكى دينے والے كےخلاف قانونى كاروائ كى جاے حافظ محمد طاهر محمود اشرفى pic.twitter.com/itQH6pSpSa
— TahirMahmoodAshrafi حافظ محمد طاهراشرفى (@TahirAshrafi) January 8, 2023
वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने लिया संज्ञान
वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सत्ता पक्ष के शीर्ष नेतृत्व ने इसे नोटिस में लिया है. सीएए एक प्रवक्ता ने बताया कि डीजी सीएए के निर्देश पर एक जांच समिति का गठन किया गया है और इसकी अध्यक्षता हवाईअड्डा सेवा निदेशक खुद करेंगे.समिति कल मंगलवार को इस मामले में अपनी पहली बैठक करेगी. प्रवक्ता ने कहा कि सीएए अफसर और महिला सुरक्षा अधिकारी को समिति के सामने पेश होने और अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है.
उलेमा काउंसिल और सरकार देनों ने की घटना की निंदा
उधर, पाकिस्तान उलेमा काउंसिल के सद्र ताहिर महमूद अशरफी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि किसी शख्स द्वारा धर्म और पवित्र पैगंबर के नाम का गलत इस्तेमाल अपने स्वयं के गुप्त उद्देश्यों के लिए करने से बड़ा आतंकवाद कुछ और नहीं हो सकता है. पूर्व राष्ट्रपति असिफ अली जरदारी ने भी घटना की आलोचना की है और कहा है कि एक महिला सुरक्षा अधिकारी को अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए ईशनिंदा का आरोप लगाना शर्मनाक है. जरदारी के मुताबिक, कुछ तत्व धर्म की आड़ में पाकिस्तान को बदनाम करना चाहते हैं और सरकार और लोगों को इस तरह के व्यवहार को हतोत्साहित करना चाहिए.
ईश निंदा कानून से अल्पसंख्यकों को बनाया जाता है निशाना
गौरतलब हे कि पाकिस्तान में ईसाइयों और हिंदुओं सहित दूसरे अल्पसंख्यकों को अक्सर ईशनिंदा के इल्जामों का शिकार होना पड़ता है. कुछ लोगों पर ईशनिंदा कानून के तहत मुकदमा चलाकर उन्हें सजा भी दी गई है. हाल ही में, लाहौर के एक अखबार 'द नेशन’ ने रिपोर्ट किया था कि पाकिस्तान में कानून प्रवर्तन एजेंसियां सोशल मीडिया पर ईशनिंदा करने वालों पर शिकंजा कस रही हैं और कथित रूप से ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर रही हैं. ईशनिंदा के मामलों में शामिल बासठ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. गिरफ्तार किए गए ईशनिंदा करने वालों में से 9 लोगों को अदालतों ने मौत की सजा सुनाई है, जबकि इनमें से किसी भी शख्स को जमानत पर नहीं छोड़ा गया है.
मानवाधिकार मानकों के खिलाफ है कानून
पाकिस्तान में राइट्स ग्रुप वॉयस फॉर जस्टिस के सद्र जोसेफ जानसन ने कहा, 'मुल्क का मौजूदा ईशनिंदा कानून निष्पक्ष सुनवाई और धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी नहीं देता है. झूठे सबूत और झूठी गवाही पेश करने के बावजूद आरोप लगाने वाला शख्स मुकदमा जीत जाता है और बेकसूर शख्स इसमें फंस जाता है.’’ जानसन कहते हैं, 'पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के भी खिलाफ है.’’
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