हमास ने सोमवार रात 'मानवीय' आधार पर 85 साल की योचेवेद लिफ़शिट्ज़ और एक अन्य बुजुर्ग महिला को रिहा कर दिया.
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7 अक्टूबर को हमास ने जब इजरायल पर हमला किया था, उसके बाद हमास लड़ाकों ने सैकड़ों इसराइली नागरिकों को बंधक बना लिया था और अपने साथ गाज़ा ले गए थे. अब उन्होंने मानवता के आधार पर दो बुज़ुर्ग महिला बंधकों को रिहा कर दिया है. खबरों के मुताबिक ये रिहाई कतर और मिस्र के चैनल से हुई है. जहां कुछ जानकार इस रिहाई को हमास की छवी सुधारने की कोशिश मान रहे हैं, तो कुछ इसको हमास का अच्छा कदम बता रहे हैं. हमास के क़ब्ज़े से बाहर आईं 85 साल की इसराइली नागरिक 'योचेवेद लिफ़शिट्ज' (Yocheved Lifshitz) ने मीडिया से बात की और आप बीती सुनाई.
"मैं नरक से होकर आई हूं"
85 साल की लिफ़शिट्ज ने बताया कि 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाके उनको और उनके पति को किडनेप करके गाज़ा ले गए थे. जहा उन्हें सुरंगो में रखा गया. ये सुरंगें किसी मकड़ी के जाल जैसी थीं. उन्होंने आगे ये भी कहा "मुझे समझ नहीं आता एक इंसान दूसरे इंसान के लिए ऐसा कैसे कर सकता है. मैं नरक से होकर वापस आई हूं"
"हम कुरान को मानने वाले लोग हैं"
उन्होंने हमास के कैद में हुए अपने साथ बर्ताव के बारे में बताते हुए कहा कि "हमास के लड़ाके हमारे साथ अच्छे से पेश आए. उन्होंने अपना खाना हमारे साथ शेयर किया. हमें देखने के लिए डॉक्टर और नर्स का इंतेजाम था. जो दवाई मैं यहां खाती हूं वही दवाई मुझे हमास की कैद में भी दी गई." लिफ़शिट्ज आगे कहती हैं कि "हमास के लड़ाकों ने कहा कि हम कुरान को मानने वाले लोग हैं और आपके साथ कुछ बुरा नहीं करेंगे" हलाकि उन्होंने ये भी बताया की किडनैप करके ले जाते वक्त उनके साथ मारपीट भी की गई, पर बाद में हमास के लड़ाको ने उनके साथ अच्छा बर्ताव किया