कट्टरपंथी माने जाने वाले 60 वर्षीय इब्राहीम रईसी पश्चिमी देशों के कड़े आलोचक हैं. वे अगस्त में हसन रूहानी के बाद राष्ट्रपति के फ़रायज़ अंजाम देंगे.
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तेहरान: ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि वह तेहरान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर समझौता नहीं करना चाहते हैं, ना ही इलाकाई मिलिशिया के मुद्दे पर वार्ता करना चाहते हैं. शुक्रवार को चुनाव जीतने के बाद वे अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस संबोधित कर रहे थे.
साथ ही रईसी ने कहा कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से भी नहीं मिलना चाहते हैं. यह पूछने पर कि क्या बाइडन से उनकी मुलाकात की संभावना है तो उन्होंने कहा, 'नहीं.'
याद रहे कि कट्टरपंथी माने जाने वाले 60 वर्षीय इब्राहीम रईसी पश्चिमी देशों के कड़े आलोचक हैं. वे अगस्त में हसन रूहानी के बाद राष्ट्रपति के फ़रायज़ अंजाम देंगे.
तेहरान में इब्राहीम रईसी ने कहा, "हम दुनिया से संवाद बनाएंगे. परमाणु करार की वजह से हम ईरानी लोगों के अधिकारों पर असर नहीं पड़ने देंगे."
इब्राहीम रईसी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये भी कहा कि अमेरिका ने परमाणु समझौते की खिलाफ़ वर्ज़ी की है और यूरोपीय संघ अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रहा है.
उन्होंने कहा, "मैं अमेरिका से अपील करता हूं कि परमाणु करार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का वो पालन करे... ईरान पर लगाए गए पाबंदियां हटाए जाएं.'
इस बीच, रईसी से जब पूछा गया कि क्या 1988 में करीब पांच हजार लोगों के कत्ले आम में वह शामिल थे तो उन्होंने खुद को इंसानी हुकूक का सबसे बड़ा मुहाफ़िज़ बताया.
गौतलब है कि रईसी उस मुबैय्यना 'मौत के पैनल' का हिस्सा थे जिसने 1980 के दशक के आखिर में ईरान-इराक जंग के इख्तताम के बाद राजनीतिक कैदियों को सजा दी थी.
(इनपुट- भाषा के साथ भी)
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