आत्महत्या का जिक्र आते ही हमारा ध्यान अक्सर साधनों की कमी की ओर जाता है. हमें लगता है कि जीवन में कमी से हारे लोग आत्महत्या की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन यह सिक्के का एक पहलू मात्र है.
Trending Photos
बात बहुत पुरानी नहीं है. 'डियर जिंदगी' का सफर एक बरस पहले ही शुरू हुआ. उस वक्त अनेक मित्र, चिंतक इस पहल के पक्षधर नहीं थे. 'आत्महत्या पर संवाद' को कुछ ऐसे लिया गया, मानिए हम किसी और दुनिया की बात कर रहे हैं. जबकि संकट सबसे अधिक हमारे अपने आंगन में ही है.
आत्महत्या का जिक्र आते ही हमारा ध्यान अक्सर साधनों की कमी की ओर जाता है. हमें लगता है कि जीवन में कमी से हारे लोग आत्महत्या की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन यह सिक्के का एक पहलू मात्र है. भारत में कर्ज से जूझता किसान, नौकरी जाने के बाद ईएमआई के तनाव में मध्यवर्ग अगर इस ओर जाता है, तो उसकी पीड़ा समझी जा सकती है. वह सरकार, समाज से निराश होकर अप्रिय कदम उठाता है, जो कि नहीं उठाना चाहिए, क्योंकि जिंदगी हर कर्ज से बड़ी है.
ये भी पढ़ें: डियर जिंदगी : तुम समझ रहे हो मेरी बात!
यह सिक्के का एक पहलू है. जिसके बारे में अक्सर बातें की जाती हैं, लेकिन रास्ते नहीं खोजे जाते. अब हम आते हैं, दूसरी ओर. यह उनके बारे में है जो अच्छी भली, संपन्न जिंदगी से निराशा की ओर बढ़ रहे हैं. भारत में उच्च मध्यमवर्ग से होता हुए यह सवाल अमेरिका तक पहुंच रहा है कि ऐसे लोग जिंदगी से क्यों भाग रहे हैं, जिनके पास दुनिया का वह सारा सुख है, जिसकी तमन्ना में आम आदमी रातें 'काली' करता है. बीते सप्ताह अमेरिका में दो मशहूर, बेहद संपन्न, अपने हुनर के लिए दुनिया में मशहूर हस्तियों ने जिंदगी को अलविदा कह दिया.
ये भी पढ़ें- डियर जिंदगी: 'कागजी' नाराजगी बढ़ने से पहले...
पहले अमेरिका की जानी-मानी फैशन डिजाइनर केट स्पेड न्यूयॉर्क में मृत मिलीं. 55 साल की स्पेड की आत्महत्या की पुष्टि न्यूयॉर्क पुलिस ने की है. केट के पति ने मानसिक रोग की ओर संकेत किया, जिसका वह इलाज भी करा रहीं थीं.
इसके बाद मशहूर शेफ, फूड क्रिटिक एवं लेखक एंथनी बोरडैन की आत्महत्या की खबर आई. सीएनएन सीरीज 'पार्ट्स अननोन' के लिए लोकप्रिय 61 साल के एंथनी ने अपनी किताब 'किचन कॉन्फिडेंशियल : एडवेंचर्स इन दि कुलिनरी अंडरबेली' के साथ खानसामों की छवि बदल दी थी.
ये भी पढ़ें- डियर जिंदगी : ऐसा एक दोस्त तो होना ही चाहिए…
ऐसा लगता है कि अमेरिकन समाज उस जीवनशैली से उब रहा है, जहां हर चीज़ 'यूज़ एंड थ्रो' के फलसफे के साथ गढ़ी गई थी. ऐसा लगता है कि वहां धन के बाद क्या, प्रसिद्धि के बाद क्या, इसका कोई उत्तर नहीं मिल रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि 2016 में वहां दस बरस से अधिक 45,000 नागरिकों ने आत्महत्या की है. वहां आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. 1999 के मुकाबले इन आंकड़ों में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह दुनिया के सबसे संपन्न समाज के अंदरूनी, मानसिक बीमारियों की ओर संकेत कर रही है.
हम अमेरिका को केंद्र में रखकर चर्चा केवल दो सेलिब्रिटी के कारण नहीं कर रहे हैं. बल्कि इसलिए, क्योंकि अमेरिका धन, साधन, सुविधा के मामले में हम से कोसों आगे है. जो समाज हमसे उन च़ीजों के बारे में आगे है, जो हमें आत्महत्या की ओर धकेलने के मूल में नजर आती हैं, वहां आत्महत्या का बढ़ना क्या किसी और दिशा की ओर संकेत कर रहा है?
ये भी पढ़ें- डियर जिंदगी: जिंदगी को ‘बदलापुर’ बनने से रोकने के लिए…
यह हमें बताता है कि जिंदगी केवल पैसे से नहीं चलती. सुविधा से नहीं चलती. जीवन में सुविधा से अधिक स्नेह, प्रेम और आत्मीयता की जरूरत है. मनुष्य तकनीक, गैजेट और अधिक से अधिक संग्रह के फेर में आने के कारण अपनों से दूर होता जा रहा है. यह दूरी ही उसे पहले अकेलेपन की ओर धकेलती है, उसके बाद उदासी, डिप्रेशन और आत्महत्या की ओर. बात-बात में अमेरिका की ओर देखने वाले युवाओं को इस खतरे को गंभीरता से समझना होगा.
सबसे पहले माता-पिता को इस बात को समझना होगा कि जिंदगी में उनका बच्चा किसी भी सपने से अनमोल है. उसके बाद ही यह विचार बच्चों में विकसित हो पाएगा. जब तक बच्चों में स्नेह, प्रेम का विचार नहीं रोपा जाएगा, स्नेह का पौधा कैसे बरगद बनेगा? और जब तक यह बरगद नहीं होगा, हमें मुश्किलों की धूप से कौन बचाएगा!
अपने दोस्त, हम प्याला, हम निवाला, जीवनसाथी और बच्चों को ज़्यादा सुनिए. समय दीजिए. प्यार की मात्रा चौगुनी कीजिए, क्योंकि हम प्रेम, स्नेह के रास्ते से भटक कर आत्महत्या के दायरे में आ गए हैं. अकेलेपन का विचार जिंदगीभर के दुलार पर भारी पड़ रहा है.
Gujarati में पढ़ने के लिए क्लिक करें-: ડિયર જિંદગી : કોનાથી હારી રહ્યું છે અરબપતિ 'મન'
Telugu में पढ़ने के लिए क्लिक करें-: డియర్ జిందగీ : డబ్బుతో మానసిక ఆనందాన్ని పొందలేం
Kannada में पढ़ने के लिए क्लिक करें-: ಡಿಯರ್ ಜಿಂದಗಿ: ಯಾರಿಂದ ಸೋಲುತ್ತಿದೆ ಈ ಲಕ್ಷಾಧಿಪತಿಗಳ ಮನಸ್ಸು
सभी लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें : डियर जिंदगी
(लेखक ज़ी न्यूज़ के डिजिटल एडिटर हैं)
(https://twitter.com/dayashankarmi)
(अपने सवाल और सुझाव इनबॉक्स में साझा करें: https://www.facebook.com/dayashankar.mishra.54)