डियर जिंदगी : बच्‍चों के निर्णय!
Advertisement
trendingNow1448217

डियर जिंदगी : बच्‍चों के निर्णय!

दिलों में प्रेम तो है लेकिन वह रिवाजों के जाल में कहीं बंध गया है. ऐसे में थोड़े सा स्‍नेह जिंदगी के सारे तनाव को बिसार सकता है. 

डियर जिंदगी : बच्‍चों के निर्णय!

‘आपका ध्‍यान कहीं और है!’ हम जयपुर के कॉफी शॉप में थे. कहने को हम चार लोग थे लेकिन वह न जाने कहां गायब हो गईं थीं, तो हम तीन ही बचे. जबकि व‍ह तो गुलाबी नगरी में ‘जीवन-संवाद’ की पहली बैठक की सूत्रधार थीं. वह बहुत जतन करके भी खुद को वहां मौजूद नहीं रख पा रही थीं! उनके दोस्‍तों ने जब ध्‍यान भटकने की ओर बार-बार संकेत किया तो उन्‍होंने ‘अहिस्‍ता-आहिस्‍ता’ मन के द्वार खोल दिए.

बात कुल मिलाकर यह है कि पति आईएएस अफसर हैं. एक ही बे‍टी है. बड़े स्‍नेह से उसको पाला-पोसा. पढ़ने के लिए दूसरे शहर भी भेजा, जबकि पति नहीं चाहते थे. अब जब वह विवाह के योग्‍य हुई तो परिवार के मित्र आईपीएस अफसर ने अपने बेटे के लिए विवाह प्रस्‍ताव भेज दिया. लड़के को चुना गया, कुछ मुलाकातें तय हुईं, जिससे एक-दूसरे को समझने में आसानी हो सके.

डियर जिंदगी : बच्चों के प्रति नजरिया…

तो इस तरह इनकी बिटिया और उस लड़के की कुछ मुलाकातें हुईं. जो कि सामान्‍य, सहज थीं, दोनों को एक दूसरे को समझने में आसानी हुई. लड़के के परिवार की ओर से युवती को सौ में से पूरे सौ नंबर दिए गए. लेकिन हमारी मेजबान की बेटी ने अपने घर में यह कहते हुए तूफान ला दिया कि वह परिवार बहुत अच्‍छा है, लड़का तो उससे भी भला है मगर लड़के और मेरे बीच तालमेल होने की संभावना मुश्किल है. इसका आधार यह है कि दोनों की परवरिश, शिक्षा और सोच में बहुत अंतर है. लड़के के परिवार का मानना है कि शादी के बाद ‘बहू’ को घराने के कामकाज में हाथ बंटाने की इजाजत तो है लेकिन उसे अपनी मल्‍टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़नी पड़ेगी.

डियर जिंदगी : बच्‍चे के मन में क्‍या है…

लड़का अपने माता-पिता के सामने किसी बात का विरोध नहीं करता, यानी उनके घर में एक बार जो बात माता-पिता ने तय कर दी, उसमें उसकी कोई ‘सुनवाई’ नहीं. क्‍योंकि पिता आईपीएस अफसर हैं, उन्‍हें जीवन का व्‍यापक अनुभव है, मां ने अपने दम पर इतना बड़ा बिजनेस हाऊस बनाया है. जिसका सीईओ उनका इकलौता बेटा है. लेकिन घर-बाहर माता जी की इजाजत के बिना पत्‍ता भी नहीं हिलता. यहां तक कि बेटा फि‍ल्‍म देखने से पहले मां से पूछता है.

ये भी पढ़ें: डियर जिंदगी : ‘बलइयां’ कौन लेगा…

इतना ‘सुलझा और पारंपरिक’ परिवार है, उनका! उसके बाद भी बिटिया ने शादी ने लिए न कह दिया. उनकी आवाज कांप रही थी. पति आईएएस अफसर हैं, इसलिए ऐसा लगता है कि घर में दाखिल होने के बाद भी ओढ़ा हुआ अफसरी मिजाज पायदान पर बार-बार पैर पटखने के बाद भी बाहर नहीं छूटता. इसलिए, बेटी के निर्णय पर सबसे अधिक नाराजगी उनको ही है. उनने दो टूक कह दिया, ‘जिंदगी में सारा संघर्ष धन, सुख के लिए किया जाता है, उस परिवार के पास सब कुछ है. तो कुछ समझौते उनकी एमबीए बेटी को करने ही चाहिए. जिस सोशल स्‍टेट्स से वह आते हैं, उसके अनुसार ही बेटी का विवाह होना चाहिए. वह अपने दोस्‍त से वादा कर चुके हैं. बेटी का हित जितना वह समझते हैं, उतना बेटी भी नहीं समझ सकती.’

ये भी पढ़ें- डियर जिंदगी : कोमल मन के द्वार…

पलभर को लगा कि मैं कोई पुरानी कड़क मिजाज पिता के किरदार वाली फिल्‍म देख रहा हूं! किस जमाने की बातें हम कर रहे हैं. बच्‍चों के प्रति हमारी कबाड़ हो चुकी सोच कब बदलेगी! हम कब तक अपने बच्‍चों के निर्णय इस तर्क के आधार पर लेते रहेंगे कि उनका ‘भला’ उनसे बेहतर हम समझते हैं! यहां इस बात को स्‍पष्‍ट करना बहुत जरूरी है कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इस बिटिया की सारी बातें सही हैं. मैं यह भी नहीं कह रहा हूं कि माता-पिता को बच्‍चों के जीवन से जुड़े सभी विषयों में दखल नहीं देना चाहिए.

ये भी पढ़ें- डियर जिंदगी : 'अलग' हो जाइए, पर जिंदा रहिए...

मैं केवल यह कहने की विनम्र कोशिश कर रहा हूं कि हमें समझना होगा कि ‘कहां आकर बड़ों को अपनी लक्ष्‍मण-रेखा’ पहचाननी चाहिए. आप थोड़े ठंडे मन से, अधिकार से अधिक ‘दुलार’ से सोचें तो इस तरह के सुशिक्षित, सुचिंतित परिवार में कहीं कोई तनाव होना ही नहीं चाहिए. इस परिवार के पास वह सारे साधन हैं, जिनकी चाह किसी सामान्‍य परिवार को होती है.

ऐसा नहीं है कि पिता और पुत्री के बीच प्रेम नहीं है. प्रेम तो है लेकिन वह कहीं फंस गया है. प्रेम तो है लेकिन वह रिवाजों के जाल में कहीं बंध गया है. ऐसे में थोड़े सा स्‍नेह जिंदगी के सारे तनाव को बिसार सकता है, लेकिन उसे ही हम भुला बैठे हैं!

आपकी प्रतिक्रिया, संवाद, सुझाव आमंत्रित हैं.

गुजराती में डियर जिंदगी पढ़ने के लिए क्लिक करें...

मराठी में डियर जिंदगी पढ़ने के लिए क्लिक करें...

ईमेल dayashankar.mishra@zeemedia.esselgroup.com

पता : डियर जिंदगी (दयाशंकर मिश्र)
Zee Media,
वास्मे हाउस, प्लाट नं. 4, 
सेक्टर 16 A, फिल्म सिटी, नोएडा (यूपी)

(लेखक ज़ी न्यूज़ के डिजिटल एडिटर हैं)

https://twitter.com/dayashankarmi)

(अपने सवाल और सुझाव इनबॉक्‍स में साझा करें: https://www.facebook.com/dayashankar.mishra.54)

Trending news