Bharat Ratna 2024: भूख से तड़पते लोगों को देख बदला मन,पुलिस की नौकरी छोड़ खेती-बाड़ी चुनी...पढ़ें एमएस स्वामीनाथन से जुड़ी अनसुनी बातें
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Bharat Ratna 2024: भूख से तड़पते लोगों को देख बदला मन,पुलिस की नौकरी छोड़ खेती-बाड़ी चुनी...पढ़ें एमएस स्वामीनाथन से जुड़ी अनसुनी बातें

Bharat Ratna 2024: जब 11 साल के थे तो पिता की मृत्यु हो गई थी. बड़े भाई ने पढ़ाई-लिखाई करवाई. पुलिस ऑफिसर बनकर देश की सेवा करना चाहते थे, लेकिन साल 1943 में बंगाल में पड़े भीषण अकाल ने उनका मन बदल दिया. भूखमरी और गरीबी देखकर वो इतने आहत हुए कि उन्होंने कृषि की दशा और दिशा दोनों बदल दी.

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Bharat Ratna Ms swaminathan: जब 11 साल के थे तो पिता की मृत्यु हो गई थी. बड़े भाई ने पढ़ाई-लिखाई करवाई. पुलिस ऑफिसर बनकर देश की सेवा करना चाहते थे, लेकिन साल 1943 में बंगाल में पड़े भीषण अकाल ने उनका मन बदल दिया. भूखमरी और गरीबी देखकर वो इतने आहत हुए कि उन्होंने कृषि की दशा और दिशा दोनों बदल दी. ये कहानी है एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan)  की. आज केंद्र सरकार ने उन्हें देश के सबसे सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न (Bharat Ratna 2024) से सम्मानित करने की घोषणा की है. 

पुलिस अधिकारी बनना चाहते थे स्वामीनाथन

एमएस स्वामीनाथन का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी में साल 1925 में हुआ था. 11 साल के ही थे कि पिता की मौत हो गई.  कुंभकोणम शहर से मैट्रिक की परीक्षा पास की. वो पुलिस अधिकारी बनना चाहते थे. उन्होंने सिविल सर्विसेस परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी.पुलिस सेवा के लिए वो क्वॉलिफ़ाई भी कर गए थे, लेकिन देश में अकाल संकट ने उन्हें झगझोर दिया. 

अकाल ने मन बदल दिया

साल 1943 का में बंगाल में पड़े भीषण अकाल का दुखद दौर देखकर वो काफी विचलित हो गए. उनका मन बेचैन हो उठा था. वो इस समस्या का हल निकालने के लिए कुछ करना चाहते थे. उन्होंने मन बना लिया कि वो देश में कृषि को बदल कर रख देंगे. उन्होंने कृषि अनुसंधान करने का फैसला किया. पिता से उन्हें कृषि का तोहफा मिला थे. अब वो कृषि क्षेत्र में बदलाव के लिए कोशिशों में जुट गए.  

खाने की दिक्कत नहीं होने देने का प्रण

स्वामीनाथन ने ठान लिया था कि वो देश में खाने की दिक्कत नहीं होने देंगे. इसी मकसद के साथ उन्होंने कृषि अनुसंधान  की पढ़ाई की. साल1944 में मद्रास एग्रीकल्चरल कॉलेज से कृषि विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की. साल 1947 में वह आनुवंशिकी और पादप प्रजनन की स्टडी की. आगे की स्टडी के लिए दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) आ गए. साल  1949 में साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की.  

हरित क्रांति के जनक की बड़ी उपलब्धियां   

-उन्होंने देश को को खाद्य सुरक्षा दिलाई. देश में हरित क्रांति लाया. सच्चाई भी यही है कि हरित क्रांति के बाद देश ने दूसरा अकाल नहीं देखा. 
-स्वामीनाथन ने दो कृषि मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति की लहर ला दी. 
-हरित क्रांति के जरिए उन्होंने कैमिकल-जैविक तकनीक के उपयोग कर धान और गेहूं के उत्पादन बढ़ोतरी ला दिया. 
-उन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म की पहचान की. जिसकी वजह से भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई. 
-उनकी अध्यक्षता में आयोग भी बनाया गया था,जिसकी मदद से किसानों की जिंदगी को सुधारने के लिए कई अहम कदम उठाए गए. 
-एमएस स्वामीनाथन ने धान की ऐसी किस्म विकसित की, जिससे अधिक उपज होती है.  
-उन्होंने प्लांट ब्रीडिंग और जेनेटिक्स की बदौलत उन्नत किस्म तैयार की. 
-उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर से पीएचडी की डिग्री हासिल की. 
-1954 में भारत आने के बाद उन्होंने भारतीय वन सर्वेक्षण में महत्वपूर्ण रोल निभाया. 
-कृषि और किसानों के प्रति उनका लगाव बढ़ता गया, भारतीय कृषि महानिदेशक के पद पर रहते हुए उन्होंने पशु और मछली अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो का गठन किया. 
-साल 1979 में उन्हें भारत सरकार के कृषि मंत्रालय का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया . 
-उन्होंने किसानों के आत्महत्या के मुद्दे का समाधान निकालने के लिए साल 2004 में स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स (NCF) का गठन किया गया. 
-उन्होंने दो सालों में 5 रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट भी कहा जाता है.
-इस रिपोर्ट में सरकार को किसानों की दशा सुधारने के लिए कई सुझाव दिए गए थे, जिससे सबसे चर्चित सुझाव MSP का था.
-उन्होंने सुझाव दिया था कि किसानों को फसल की लागत का 50 फीसदी लाभ मिलाकर MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य तैयार होना चाहिए. 

मिले कई अवार्ड 
स्वामीनाथन को कई अवार्ड से नवाजा गया, जिसमें 1961 का शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, 1989 में पद्म विभूषण सम्मान,  1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, 1999 में यूनेस्को महात्मा गांधी स्वर्ण पदक  शामिल हैं. 

 

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