Hathras Stampede: बाबा के शागिर्दों ने गुंडई न दिखाई होती तो नहीं बिछतीं 121 लाशें, देर रात मैनपुरी आश्रम में घुसी पुलिस
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Hathras Stampede: बाबा के शागिर्दों ने गुंडई न दिखाई होती तो नहीं बिछतीं 121 लाशें, देर रात मैनपुरी आश्रम में घुसी पुलिस

Hathras Hadsa: हाथरस में हुआ हादसा न होता अगर लोगों की आंखों पर अंधभक्ति की पट्टी न बंधी होती और प्रशासन अपना काम कायदे से करता. रिपोर्ट में कहा गया है कि 80000 की परमीशन ली गई और अनुयायी पहुंच गए ढाई लाख से ज्यादा. भीड़ में बाबा के सेवादारों ने गुंडई भी दिखाई जिससे -तफरी मच गई और भीड़ बेकाबू हो गई. गीली ढलान के कारण अधिकतर लोग फिसलकर गिरे और फिर कभी नहीं उठ पाए.

Hathras Stampede: बाबा के शागिर्दों ने गुंडई न दिखाई होती तो नहीं बिछतीं 121 लाशें, देर रात मैनपुरी आश्रम में घुसी पुलिस

Hathras News: हाथरस में बाबा नारायण साकार विश्व हरि के सेवादारों ने अगर गुंडई न दिखाई होती तो आज 121 लोगों की अकाल मौत न होती. एसडीएम की रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि ‘भोले बाबा’ के सुरक्षाकर्मियों ने अनुयायियों को धक्का मारा जिससे अफरातफरी फैल गई.  इसमें और खतरनाक रोल अदा किया  फिसलन भरी ढलान ने. इसी वजह से भगदड़ मची और लोगों की जान गई. इस बीच तकरीबन आधी रात को बाबा के मैनपुरी वाले आश्रम के अंदर पुलिस पूरी फोर्स के साथ पहुंची है. आश्रम की लाइट भी काटने की खबर है. 

योगी सरकार ने न्यायिक जांच आयोग बनाया

इस बीच योगी सरकार ने हाथरस भगदड़ की जांच के लिए बुधवार को तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित कर दिया है. आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्ति) ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव करेंगे. आयोग के दो अन्य सदस्यों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी हेमंत राव और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी हेमंत राव और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी भावेश कुमार सिंह शामिल हैं. आयोग को दो महीने में जांच पूरी करनी होगी. 

शवों में सांसें टटोलते रहे परिजन

पैरों के पास की मिट्टी लेने के लिए दौड़े लोग

उधर सिकंदराराऊ के एसडीएम ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है. इस रिपोर्ट के अनुसार सत्संग की अनुमति देने वाले एसडीएम भी घटना के समय कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे. रिपोर्ट में कहा गया कि सत्संग पंडाल में दो लाख से अधिक लोगों की भीड़ मौजूद थी. नारायण साकार हरि बाबा दोपहर करीब 12.30 बजे सत्संग पांडाल में पहुंचा. उसके बाद कार्यक्रम एक घंटे तक चला. इसके बाद करीब 1.40 बजे नारायण साकार हरि  उर्फ भोले बाबा पंडाल से निकलकर राष्ट्रीय राजमार्ग -91 पर एटा की ओर जाने लगा. रिपोर्ट में कहा गया कि जब बाबा कार्यक्रम स्थल से जा रहा था, तो उसके अनुयायी दर्शन के लिए दौड़ने लगे और बाबा के पैरों के पास से मिट्टी लेने लगे. 

डिवाइडर से कूदकर गाड़ी के साथ दौड़ने लगे अनुयायी

दो जुलाई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्संगी महिलाएं/पुरुष/बच्चे आदि बाबा के चरणों की धूल माथे पर लगाने लगे, उनके दर्शन करने लगे, उनके पैर छूने लगे और उनका आशीर्वाद लेने लगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति तब और खराब हो गई, जब आगे सड़क के डिवाइडर पर इंतजार कर रहे लोग उनके वाहन की ओर दौड़ने लगे. इसमें कहा गया है कि जीटी रोड के बीचों-बीच और किनारों पर पहले से ही बड़ी संख्या में लोग डिवाइडर पर खड़े थे, जो बाबा के दर्शन पाने के लिए डिवाइडर से कूदकर उनके वाहन की ओर दौड़ने लगे. तभी बाबा के निजी सुरक्षाकर्मियों (ब्लैक कमांडो) और सेवादारों ने भीड़ को रोकने के लिए खुद ही भीड़ को धक्के मारना शुरू कर दिया जिससे कुछ लोग गिर गए. 

गीली ढलान से लोग फिसलकर गिरे 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अफरा-तफरी मच गई और भीड़ बेकाबू हो गई. इसके कारण भीड़ राहत पाने के लिए कार्यक्रम स्थल के सामने सड़क के दूसरी ओर खुले मैदान की ओर भागी, जहां सड़क से मैदान की ओर उतरते समय गीली ढलान के कारण अधिकतर लोग फिसलकर गिर गए. उसमें कहा गया है कि जो लोग गिरे, वे उठ नहीं सके और पीछे से आ रहे लोगों ने उन्हें कुचल दिया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि मंगलवार देर रात सिकंदराराऊ थाने में दर्ज प्राथमिकी में 'मुख्य सेवादार' देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों को नामज़द किया गया है. 

बहन की तलाश में 100 शवों को देख चुके

घटना के दूसरे दिन भी परिजन अपनों की आस में भटकते रहे. भगदड़ की घटना के बाद से लापता 50 वर्षीय महिला हरबेजी देवी के भाई राकेश ने कहा कि वे अपनी बहन को ढूंढने की कोशिश में अब तक 100 से ज्यादा शवों को देख चुके हैं. राकेश बहन हरबेजी की तलाश में बाइक से हाथरस, एटा और अलीगढ़ के पोस्टमार्टम हाउस की खाक छानते रहे. पुलिस ने सत्संग के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते हुए उन पर साक्ष्य छिपाने और आयोजन की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.  कार्यक्रम में ढाई लाख लोग थे, जबकि केवल 80,000 लोगों की अनुमति दी गई थी.

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