Chhath Puja 2023: छठ की शुरुआत से ही इन खास बातों का रखें ध्यान, मिलेगा व्रत का पूरा फल
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Chhath Puja 2023: छठ की शुरुआत से ही इन खास बातों का रखें ध्यान, मिलेगा व्रत का पूरा फल

Chhath Puja 2023: पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तारीख को मनाया जाने वाला छठ के महापर्व का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. छठ के पर्व पर व्रतियों के साथ उनके परिजनों को भी कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

 

chhath puja 2023

Chhath Puja 2023 Rules: हिंदू धर्म में पंचाग के अनुसार मनाया जाने वाला सबसे बड़ा पर्व छठ की शुरुआत शुक्रवार से होने वाली है. छठ का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तारीख से शुरू होता है, जो कि सूर्य देव और छटी माता को समर्पित होता है. 17 नवंबर शुक्रवार को नहाय खाय से इसकी शुरुआत होगी जो कि 20 नवंबर को सुबह के उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होगा.

चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व छठ के दौरान विधि विधान और नियमों का पूरा ध्यान रखा जाता है. पूजा के दौरान व्रती पूरी आस्था के साथ उपवास रख कर अपने संतान और परिजनों की उज्जवल भविष्य और तरक्की की कामना करती हैं. आइए छठ में शामिल होने से पहले उनसे जुड़े महत्वपूर्ण नियमों और कुछ ध्यान देनी वाली बातों को जानें.

छठ पूजा की सूची

छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय है जो शुक्रवार के दिन होगा. उसके अगले दिन यानी कि दूसरे दिन खरना जो कि शाम के समय होता है वह 18 नवंबर शनिवार के दिन होगा. इसके बाद संध्या अर्घ्य 19 नवंबर रविवार के दिन होगा और 20 नवंबर को व्रती दूसरा अर्घ्य देकर पारण करेंगी जो कि 20 नवंबर यानी कि सोमवार के दिन होगा.

छठ में ध्यान रखने वाली बातें

छठ एक ऐसा पर्व है जिसमें शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता है. छठ के शुरुआत ही दिन नहाय खास से इसके प्रसाद बनाते समय पवित्रता का ध्यान रखना होता है. किसी भी चीज को अपवित्र हाथों से नहीं छुना चाहिए. इसके अलावा खरना के दिन प्रसाद बनाते समय स्वच्छता का खास ध्यान रखना चाहिए.  ध्यान रखें कि प्रसाद बनाते समय उस ज्रह को अच्छे से साफ करने के बाद तैयारी करने के अलावा उस जगह को गंगाजल से छिड़काव कर दें. ऐसा करने से प्रसाद बनाने वाली जगह पवित्र हो जाती है.

इस बात का भी ध्यान रखें कि पूजा में चांदी, स्टील, प्लास्टिक आदि बर्तनों का गलती से भी इस्तेमाल ना करें. छठ में मिट्टी के चूल्हे बर्तन का प्रयोग करें. दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्रों में मिट्टी के बने चूल्हे और बर्तनों को पवित्र मानते हैं. साथ ही इन मिट्टी के बर्तनों और चूल्हों को शुभता का प्रतीक मानते हैं.

चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व छठ में व्रतियों को सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले कुछ भी सेवन नहीं करना होता है. इस दौरान जमीन पर सोना और पूजा के ठीक 10 पहले से ही अरवा चावल और सेंधा नमक का केवल सेवन करना होता है. व्रती अगर इन नियमों का ध्यान रखती हैं तो उन्हें व्रत का पूरा फल मिलता है और जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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