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Navratra Puja Food: नवरात्रि में भूलकर भी ना खाएं ये चीजें, भागवत पुराण में लिखा है इनके बारे में

Navratri Me kya na khaye: हिन्‍दू धर्म में नवरात्र के दिनों को बहुत महत्‍पपूर्ण माना गया है. ये 9 दिन साधना और अपनी सोयी हुई शक्ति को जगाने का समय माना जाता है. पुराणों में भी मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा गया है. धार्मिक मान्‍यताओं के मुताबिक, नवरात्रि में कुछ चीजों को खाने से मनाही की गई है. आइए जानते हैं देवीभागवत पुराण में क्‍या कहा गया है.  

बासी खाना ना खाएं

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बासी खाना ना खाएं

गीता में बासी भोजन को तामसिक और रोगवर्धक बताया गया है. ऐसे भोजन को अपवित्र की श्रेणी में रखा गया है, इसलिए बासी और जला हुआ भोजन व्रत के दौरान नहीं खाना चाहिए. 

मूली से बनाए दूरी

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मूली से बनाए दूरी

ज्योतिषशास्त्र में मूली का संबंध राहु से बताया गया है. राहु के दोष को दूर करने के लिए मूली का दान करना चाहिए. आयुर्वेद के मुताबिक, यह वात वर्धक होती है. इसके सेवन से रजो और तमोगुण की बढ़ोतरी होती है इसलिए व्रत के समय में मूली का सेवन नहीं करना चाहिए. 

लहसून और प्याज भूल कर भी ना खाएं

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लहसून और प्याज भूल कर भी ना खाएं

नवरात्र के 9 दिनों में लहसुन और प्याज नहीं खाना चाहिए. इन दोनों को तमोगुण वर्धक माना जाता है. लहसुन और प्याज उत्तेजना और काम भाव बढ़ाता है. इसके अलावा शास्त्रों में इसे राक्षसी भोजन कहा गया है. कहा जाता है कि इनकी उत्पत्ति राहु और केतु से हुई है इसलिए इनमें गंध आती है और पूजा-पाठ में इनका उपयोग नहीं किया जाता. 

मांस का सेवन ना करें

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मांस का सेवन ना करें

नवरात्र के पर्व पर मांसाहार खाना वर्जित माना गया है. मान्‍यता के मुताबिक, साधना के समय किसी और जीव को नहीं सताना चाहिए. दुर्गासप्तशती में इसको लेकर खास दिशानिर्देश दिये गए हैं. पूजा करने वालो को जीवों पर दया भाव रखना चाहिए और अहिंसक रहना चाहिए. 

मसूर दाल ना खाएं

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मसूर दाल ना खाएं

मसूर दाल को धार्मिक दृष्टि से अपवित्र माना गया है. इसका संबंध मंगल ग्रह से माना गया है. बताया जाता है कि इसके सेवन से मन में उग्र और तामसिक विचार का संचार होता है. आयुर्वेद में इसे रजोगुण को बढ़ने वाला बताया गया है. जबकि साधना के लिए सात्विक गुण को बढ़ाना जरूरी होता है. 

सीताफल और गाजर से बनाएं दूरी

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सीताफल और गाजर से बनाएं दूरी

नवरात्रि व्रत करने वालों को गाजर और सीताफल से दूरी बनाना चाहिए. इन्हें रजोगुण वर्धक माना गया है. गाजर भूमि के नीचे उगती है, इसलिए इसे अपवित्र माना जाता है. 

बैंगन से बनाएं दूरी

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बैंगन से बनाएं दूरी

नवरात्रि के दौरान बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए, बैंगन में रजोगुण होते हैं. ये सात्विक भावों को कम करता है. इसके अलावा इससे त्वचा रोग होने की भी संभावना होती है. बैंगन काम भाव को भी बढ़ाता है. 

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