यूपी की बागपत सीट का सियासी मूड दिल्‍ली तक असर करता है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में शामिल बागपत को पहले व्यग्रप्रस्थ (बाघों की जमीन) के नाम से जाना जाता था. दिल्ली और आगरा की तरह बागपत भी यमुना के तट पर स्थित है. मेरठ से इसकी दूरी करीब 50 किलोमीटर है. बागपत जिले की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यहां की प्रमुख जातियां जाट, यादव, गुर्जर, त्यागी और राजपूत हैं. दलितों के अलावा बड़ी संख्या में मुसलमान भी बागपत में बसते हैं.बागपत लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से एक है. यह एक सामान्य सीट है जिसमें पूरा बागपत जिला शामिल है. गाजियाबाद और मेरठ का कुछ इलाका भी बागपत लोकसभा के दायरे में आता है. बागपत में जाट और गुर्जर वोट बैंक काफी मजबूत है. अनुसूचित जाति (SC) वोटर्स का रुख भी बागपत के चुनावी नतीजों में अहम भूमिका अदा करता है. बागपत लोकसभा क्षेत्र की सीमा में तीन जिलों की पांच विधानसभा सीटें पड़ती हैं. बागपत लोकसभा सीट में बागपत जिले की छपरौली, बड़ौत और बागपत; गाजियाबाद की मोदी नगर विधानसभा और मेरठ की सिवलखास विधानसभा आती है.
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