राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित बांसवाड़ा पड़ोसी राज्यों गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा के नजदीक है. एक भील राजा वाहिया चरपोटा ने बांसवाड़ा की स्थापना की थी. यहां से होकर बहने वाली माही नदी में कई द्वीप होने की वजह से इसे ‘सौ द्वीपों का नगर’ भी कहते हैं. राजा बांसिया के नाम पर ही इस जगह का नाम बांसवाड़ा पड़ा है. मक्का, गेहूं और चना की प्रमुख फसल वाले बांसवाड़ा में लौह-अयस्क, सीसा, जस्ता और चांदी भी पाया जाता है. 1948 में राजस्थान में विलय होने से पहले यह मूल डूंगरपुर राज्य का एक भाग था. इसके आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता करीब 104,571 हैं. वहीं अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या 1,207,698 है. इस सीट पर करीब 10 फीसदी वोट मुस्लिम हैं. इस लोकसभा क्षेत्र के 81 फीसदी वोटर गांवों में रहते हैं. वहीं शेष 19 फीसदी शहरी वोटर हैं. 1952 में पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 2014 तक बांसवाड़ा को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. उसके बाद से 2014 और 2019 में यह सीट भाजपा के कब्जे में है.
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