Chanakya Niti: चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र इस बात का भी जिक्र किया है कि मनुष्य कब और किस स्थिति में गुरु, धर्म, महिला और रिश्तेदारों का त्याग कर देना चाहिए. वो इन बातों को एक श्लोक के माध्यम से बताते हैं.
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Chanakya Niti In Hindi: अर्थशास्त्र के महान ज्ञाता रहे आचार्य चाणक्य ने जीवन के हर मोड़ के लिए नीतियों का निर्धारण किया है. उनकी नीतियां आज के समय में भी काफी प्रासंगिक मानी जाती हैं. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र इस बात का भी जिक्र किया है कि मनुष्य कब और किस स्थिति में गुरु, धर्म, महिला और रिश्तेदारों का त्याग कर देना चाहिए. वो इन बातों को एक श्लोक के माध्यम से बताते हैं.
त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्।
त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या निःस्नेहान्बान्धवांस्यजेत्॥
चाणक्य कहते हैं कि अगर धर्म में दया की भावना न हो तो उसे त्याग देना ही बेहतर होता है. वो कहते हैं कि धर्म का आधार ही करुणा और दया होता है. चाणक्य के मुताबिक धरती पर मौजूद जीव पर दया और करुणा की भावना रखना ही धर्म का मूल है. वो कहते हैं कि दया की भावना समेटकर चलने वाला व्यक्ति हमेशा खुश रहता है.
गुरु का स्थान शिष्य के जीवन में सबसे ऊपर होता है. वो चाहे तो उसे बेहतर इंसान बना दे और चाहे तो उसे बर्बाद कर दे. गुरु ही अच्छे और बुरे के अंतर को बताते हैं. चाणक्य कहते हैं कि अगर गुरु अज्ञानी है तो शिष्य को उसे तुरंत त्याग कर देना चाहिए, नहीं तो वो भविष्य को बर्बाद कर सकता है.
चाणक्य कहते हैं गुस्से वाली पत्नी को तुरंत दूर कर देना चाहिए. क्योंकि क्रोध में आकर वो आपके जीवन को बर्बाद कर सकती है. इसके अलावा वो रिश्तेदार जिनमें आपके प्रति किसी प्रकार का कोई स्नेह नहीं है उन्हें भी खुद से दूर कर देना चाहिए. ये ऐसे रिश्तेदार होते हैं जो सिर्फ आपके समय को खराब करते हैं.
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