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मानव सभ्यता या सामाजिक परिवेश शायद उलटी दिशा में यात्रा करने लगा है। या यों कहें कि हमारा समाज बर्बरता की तरफ मुड़ गई है। भौतिकवादी चकाचौंध में सारे अहम रिश्ते इस सामाजिक बर्बरता की आग में झुलस रही हैं। बर्बर रिश्तों की एक ऐसी ही कहानी के किरदार हैं शीना बोरा (मृत), मिखाइल बोरा, उपेन बोरा, इंद्राणी मुखर्जी, पीटर मुखर्जी, राहुल मुखर्जी, संजीव खन्ना, सिद्धार्थ दास, ड्राइवर श्याम राय।
अगर आप वेद-पुराण में भरोसा करते हैं और उसमें लिखी गई बातों को जीवन में तलाशने की या उसपर अमल करने की कोशिश करते हैं तो निश्चित ही शीना और इंद्राणी की कहानी चौंकाती है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।।
अथर्ववेद के इस श्लोक के मुताबिक, जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान पैदा होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां उनकी सब क्रिया निष्फल होती हैं। वैसे देखें तो शीना बोरा हत्याकांड एक आपराधिक घटना है, मगर इसे सामाजिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह पूरी तरह से आधुनिक जीवन शैली का एक अत्यंत ही काला पक्ष है। आज के दौर में रिश्ते कितने खोखले, स्वार्थपरक और छद्म हो गए हैं, शीना बोरा हत्याकांड इसकी मिसाल है।
वैवाहिक संबंधों का टूटना और नए संबंध बनना आज के दौर में आम बात है। लेकिन शीना और इंद्राणी की कहानी की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, एक से बढ़कर एक चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। एक शीना थी जिसके बारे में कहा जाता है कि उसकी सगी मां इंद्राणी ने मौत के घाट उतार दिया और एक इंद्राणी मुखर्जी हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि सौतेला पिता उपेन बोरा ने उसके साथ रेप किया था। इसकी वजह से इंद्राणी गर्भवती हुई और शीना का जन्म हुआ। इस तरह से देखें तो शीना इंद्राणी की बहन भी थी और बेटी भी। कहने का तात्पर्य यह कि जिस देश में नारी का सम्मान और नारी सशक्तिकरण की बात की जाती है वहां रिश्ते तार-तार हो रहे हैं।
पुलिस के मुताबिक, वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी जो आईएनएक्स मीडिया में इंद्राणी के सहयोगी रह चुके हैं को इंद्राणी ने खुद बताया था कि उसके पिता बचपन में ही घर छोड़कर चले गए थे। इसके बाद उसकी मां ने देवर उपेन बोरा (इंद्राणी के चाचा) से शादी कर ली थी। इंद्राणी के सौतेले पिता उसका यौन शोषण करते थे। इस दौरान उसकी मां भी उसे नहीं बचाती थी। शीना के बारे में सांघवी ने कहा कि पीटर मुखर्जी उसे हर पार्टी में साथ लेकर आते थे और उसे इंद्राणी की सौतेली बहन के रूप में परिचय कराते थे।
सच बात यह है कि समृद्धि और ग्लैमर की दुनिया में जीने वाली किरदार इंद्राणी मुखर्जी तार-तार होते रिश्तों की ही उपज हैं। इंद्राणी मुखर्जी जैसी औरत कोई एक दिन में नहीं बन जाता है। इसके पीछे लंबी कहानी होती है। तमाम अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियां होती हैं। लंबे समय तक जब कोई औरत विद्रूप सामाजिक ताने-बाने की शिकार होती है तब जाकर एक इंद्राणी मुखर्जी जन्म लेती है। बड़ा मुद्दा यह है कि जब रिश्ते धोखे की बुनियाद पर बनने लग जाएं, तो क्या ऐसे समाज में स्थिरता या सुख-शांति की कल्पना की जा सकती है? अगर यह सच है कि शीना का पिता उपेन बोरा जो इंद्राणी के चाचा और बाद में सौतेला पिता बन गया हो तो कोई वजह नहीं कि वह शीना जैसी बेटी को गले लगाती।
बहरहाल, शीना बोरा हत्याकांड एक ऐसी सच्ची कहानी है जिसने भारतीय समाज को शर्मसार किया है। वैवाहिक संबंधों का टूटना और नए संबंध बनना गलत नहीं है, मगर जब ऐसे संबंध धोखा, झूठ, निहायत खुदगर्जी के आधार पर बनने लग जाएं और सच को छिपाने के लिए अपनी संतान तक की हत्या कर दी जाए तो खतरे को भांपते हुए समाज सुधार के लिए सकारात्मक पहल करने की दिशा में तुरंत कदम बढ़ाया जाना चाहिए। शीना बोरा हत्याकांड समाज के लिए एक सबक है।