B'day: जब 'अंकल पई' की कॉमिक्स पढ़ने पर नहीं पड़ती थी डांट, 'अमर चित्रकथा' ने दिलाई पहचान
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B'day: जब 'अंकल पई' की कॉमिक्स पढ़ने पर नहीं पड़ती थी डांट, 'अमर चित्रकथा' ने दिलाई पहचान

80 और 90 के दशक की कॉमिक्स की दुनिया कितनी मजेदार थी. ऐसी ही कॉमिक्स क्रिएटर में से एक अनंत पई का नाम हमेशा यादों में रहेगा. 

अनंत पई (फोटो फाइल)

गरिमा शर्मा​/नई दिल्ली: टेक्नोलॉजी के इस दौर में हम सबकी जिंदगी रफ्तार से दौड़ रही है और अब पढ़ना-लिखना भी सोशल मीडिया तक सीमित रह गया है. इस फास्ट लाइफ में बच्चों का नाता भी अब किताबों से निकलकर 'स्मार्ट फोन' और 'कंप्यूटर' से ज्यादा कनेक्ट हो गया है. आज के बच्चे शायद कभी नहीं समझ पाएंगे कि 80 और 90 के दशक की कॉमिक्स की दुनिया कितनी मजेदार थी. ऐसी ही कॉमिक्स क्रिएटर में से एक अनंत पई का नाम हमेशा यादों में रहेगा. अमर चित्रकथा से घर-घर में अपनी पहचान बनाने वाले अनंत पई के जन्मदिन पर उनके बारे में पढ़े रोचक तथ्य. 

याद है वो 'कॉमिक्स' का दौर 
1970 से लेकर 1990 तक एक ऐसा दौर था जब भारत में हर उम्र के लोग 'कॉमिक्स' पढ़ने का शौकीन थे. साल 1970 में शुरू हुए 'भारतीय कॉमिक्स' के उस दौर में करीब 500,000 से भी ज्यादा कॉपियां शुरुआती कुछ हफ्तों में ही बिक जाती थी. अब आधुनिकता और टेक्नॉलोजी के दौर में सैटेलाइट टीवी (विशेषकर बच्चों पर बनने वाले चैनलों), वीडियो गेम्स के बढ़ते क्रेज से शायद बच्चे भी कॉमिक्स पढ़ने का इतना शौक नहीं रखते है इसलिए अब शायद ही कॉमिक्स मार्केट में आती होगी. 

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कौन थे 'अंकल पई' 
आज सारा देश पीएम नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन मना रहा है, वहीं कम लोग जानते होंगे कि हमारे देश के 'कॉमिक आर्टिस्ट' अनंत पई का भी आज बर्थ डे है. ऐसे में लोगों को अनंत पई जैसे अच्छे 'कॉमिक आर्टिस्ट' के बारे में भी जानना चाहिए जिन्हें उस दौर में 'अंकल पई' के नाम से जाना जाता था. अंकल पई का जन्म 17 सितम्बर 1929 में भारत के कर्नाटक में हुआ था. 'अंकल पई' अपनी कॉमिक्स के जरिए बच्चों को अपने देश की परंपरागत लोक कथाएं, पौराणिक कहानियां और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियों से रूबरू करवाते थे. 'अंकल पाई' ने ही भारत की पहली कॉमिक और कार्टून सिंडिकेट की नींव रखी थी. 1998 तक इस सिंडिकेट का खूब दौर चला और इस दौर के आखिर तक 'अंकल पाई' इसके निदेशक रहे. 'अंकल पाई' को भारत का 'वॉल्ट डिजनी' भी कहा जाता था. 

जीवन की कई 'अनसुनी बातें'
'अंकल पाई' के दिन की शुरुआत सुबह 3:30 बजे उठने से होती थी. इंजीनियरिंग करने के बावजूद इन्होंने अपना करियर जर्नलिज्म में बनाया ताकि बच्चे अपनी परंपरा और संस्कृति के बारे ज्यादा से ज्यादा जान सकें. जिस तरह से 'अनंत पई' ने साहित्य और जर्नल नॉलेज को अपनी कॉमिक्स के जरिए बच्चों तक पहुंचाया था उसके लिए उन्हें देश में कई अवॉर्ड से नवाजा गया जैसे, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार, राजा राममोहन राय पुस्तकालय फाउंडेशन पुरस्कार और प्रियदर्शनी अकादमी पुरस्कार. 17 सितंबर को गूगल ने अपने होम पेज पर 'अंकल पाई' के 82वें जन्मदिन की याद में डूडल भी बनाया था. 

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