Bank Strike: इस वजह से 26 तारीख को होगी बैंकों में हड़ताल, आज ही निपटा लें सभी जरूरी काम
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Bank Strike: इस वजह से 26 तारीख को होगी बैंकों में हड़ताल, आज ही निपटा लें सभी जरूरी काम

AIBEA ने कहा है कि 26 नवंबर को बैंक कर्मचारी भी अपनी मांगों को रखेंगे. भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल की घोषणा की है. AIBEA एसबीआई और इंडियन ओवरसीज बैंक को छोड़कर ज्यादातर सभी सार्वजनिक और निजी बैंकों में कार्यरत कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः 26 नवंबर को पूरे देश में बैंकिंग कार्य प्रभावित हो सकता है. इसकी वजह है सेंट्रल ट्रेड यूनियंस (Central Trade Unions) की हड़ताल, जिसमें देश भर के लाखों बैंककर्मी (Bank Employees) भी शामिल होंगे. ऐसे में आप आज ही अपने सभी जरूरी बैंकिंग कार्यों को निपटा लें, ताकि किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. 

  1. हड़ताल से देश की इकोनॉमी पर सीधे असर
  2. सिर्फ एक दिन की होगी बैंक हड़ताल
  3. अपने सभी जरूरी बैंकिंग कार्यों को निपटा लें

इस वजह से होगी हड़ताल
सेंट्रल ट्रेड यूनियंस ने केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया है. सरकार ने हाल ही में तीन नए श्रम कानूनों को पारित किया गया है और 27 पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है, जिसके विरोध में ये हड़ताल की जा रही है. भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल की घोषणा की है.

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इन बैंकों में नहीं पड़ेगा असर
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) एसबीआई और इंडियन ओवरसीज बैंक को छोड़कर ज्यादातर सभी सार्वजनिक और निजी बैंकों में कार्यरत कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है. अकेले महाराष्ट्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, पुरानी पीढ़ी के निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और विदेशी बैंकों की 10000 ब्रांच के करीब 30,000 कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे.

बैंक कर्मी इन मांगों के समर्थन में करेंगे हड़ताल
AIBEA ने कहा है कि 26 नवंबर को बैंक कर्मचारी भी अपनी मांगों को रखेंगे. श्रम कानून के अलावा इन पर भी हमारा फोकस रहेगा. बैंक कर्मियों की तरफ से बैंक निजीकरण का विरोध, आउटसोर्सिंग व कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम का विरोध, पर्याप्त नियुक्तियां, बड़े कॉरपोरेट डिफॉल्टर्स के खिलाफ कड़ा एक्शन, बैंक डिपॉजिट की ब्याज दर में बढ़ोत्तरी और सर्विस चार्ज में कटौती जैसे मांगें रहेंगे. इसके अलावा बैंकों का निजीकरण करने की सरकार की मुहिम का भी विरोध करेगा क्योंकि इन कदमों से देश की इकोनॉमी पर सीधे असर पड़ रहा है. 

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