Bank News: 21 साल पहले सेवा से बर्खास्त हुए बैंक क्लर्क की दलीलों को सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि बैंक में काम करना बेहद जिम्मेदारी वाला पद माना जाता है और ऐसे कर्मचारी को सेवा से हटाया जाना बिलकुल जायज है.
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नई दिल्ली: बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर है. अब बैंक कर्मचारियों को नौकरी के अंतर्गत बेहद सतर्क रहने की जरूरत है. देश की शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने अपने एक फैसले में बैंक कर्मचारियों के लिए सख्ती दिखाते हुए कहा है कि बैंक कर्मचारी का पद बहुत ही विश्वसनीय और जिम्मेदारी वाला होता है. ऐसे में, अगर कोई कर्मचारी अपने काम में गड़बड़ी करता है, तो उससे उसकी नौकरी भी छीनी जा सकती है. आइए जानते हैं डिटेल में.
गौरतलब है कि जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए बैंक क्लर्क को बर्खास्त करने के आदेश को बरकरार रखा. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, बैंक में काम करने के लिए ईमानदारी और सत्यनिष्ठा जरूरी शर्त है. बैंक में काम करने वाले व्यक्ति की किसी भी तरह के अनियमितता (Irregularity By Bank Employees) को सख्ती के साथ निपटा जाना चाहिए.
आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान इस पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, 'महज इसलिए कि कर्मचारी इस बीच सेवानिवृत्त हो चुका है, उसे अपनी ड्यूटी के दौरान की गई गड़बडि़यों के लिए माफ नहीं किया जा सकता है. आरोपी के अपराध की प्रकृति को देखते हुए वह किसी तरह की छूट का हकदार नहीं है. ऐसे मामलों में नरमी की सलाह कभी नहीं दी जा सकती है.'
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गौरतलब है कि यह मामला 1973 में निुयक्त हुए कर्मचारी से जुड़ा है, जो बैंक में क्लर्क-टाइपिस्ट के पद पर भर्ती हुआ था. दरअसल, कई इन्होंने सेवाकाल के दौरान अपने कर्तव्यों के निर्वहन में गंभीर अनियमितताएं की जिसकी वजह से उन्हें 7 अगस्त, 1995 को निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद, 2 मार्च 1996 को दाखिल आरोप पत्र में जांच अधिकारी ने उसके खिलाफ लगे आरोपों को सही पाया गया. इसके बाद उन्हें 6 दिसंबर, 2000 को बर्खास्त कर दिया गया. और फिर सबके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने भी आखिरकार उसकी बर्खास्तगी को सही ठहराया है.